Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 1030
________________ 22 समानीय प्रवक्ष्यति I. g.rob महामुनीन् VII. 99.1b समानुषमथो मांसम् VII. 65.25a समानेतुं नरव्याघ्रम् I. 70.6c मद्दामतिः I. 13.3rd " समानेष्यति सुग्रीवः IV. 35.14a समानौ देवरूपिणौ VI. 28.6b समान्कुरुत पिण्डकान् V. 2442b समान्भूमिप्रदेशांश्च VI. 4.60a समान्येतानि सर्वाणि IV. 29.11e समापतत आहवे VI. 102.24b समापतन्तं श्वसनोग्रवेगम् VI. 71.1ob सहसा नदन्तम् VI. 67.160b समापतन्तो योधास्तु VI. 53. 150 स मा पिता यथा शास्ति II. 30.3Sa समापेतुरनेकशः VII. 108.17d समाप्तकर्मा हि स राक्षसर्षभ: VI. 84.22a समाप्तदीक्षानियमः I. 18.2a " समाप्तवनवासानाम् III. 43.17a समाप्तवनवासं माम् II. 103.12a समाप्तमागतम् VI. 48.21b समाप्तिर्मम राघव VII.105.13 समाप्ते नियमे तस्मिन् VII. 13.26a तस्य VII. 10.7a 37 35 समाप्तं च यथाक्रमम् I. 4.27b समाध्यां राक्षसाविमौ I. 19.5b समाप्य च स्वस्त्यनं यथाविधि II 2544b नियमेन च I. 29.32b समालावयितुं लोकम् IV. 67.120 समाप्रतिमवृत्ताया II. 74.27a समाभाष्येदमब्रवीत् VI. 91.20d स मामनाथां विधवाम् II. 66.8a मामनादाय वनम् II. 30.roa 39 ,, मामुद्वीक्ष्य नेत्राभ्याम् II. 63.37c संत्रस्तः II. 63.52e " در Jain Education International ११९५ स मामुपागतः क्रुद्धः V. 1. 18a समामृदितवर्णकाः V. 18.16b समायातः समुद्रान्तम् VI. 31. ISa समायात्कुटिकोष्टिकाम् III. समायात्सततं क्लेशम् II. 75.49c समायान्ति द्विजातयः I. 59. Ind स्म मेदिन्याम् IV. 47.4c " समायान्त्वद्य सर्वशः II. 9114d समारब्धानि सर्वदा VI. 12.8b समारभस्वास्त्रभृतां वरिष्ट V. 48. Iod स मारुत इवाकाशम् V. 56.410 समारुतरवस्तथा VI. 21.28d समारुतोऽग्निर्ववृधे दिवस्पृग् V. 54.32b समारुरोहानिलतुल्यवेगम् VI. 73. Sc समारोहामरराजशत्रुः VI. 59.7d समारुरोहेन्द्र जिदिन्द्रकल्प: V. 48.18d समारुह्य समुत्पत्य VI. 67.31c समारूढः एवंगमैः VI. 67.131b समारूढानि राघवम् II. 83.5b समारोपितविक्रमाः VI. 4.62b "" 67 2b समारोहच्चमूपतिः VI. 53.7d स मार्गमाणस्तां देवीम् V. 31. IOC समर्थाश्च पुनस्तथा VI. 17.37d समालभ्य च पाणिना I. 27.27b ततः सर्वे I. 40.23a "" महाबलाः VI. 69. 18b समालम्भत लक्ष्मणम् III. 69.14d समालम्भनमादाय VI. 26.28a समालोक्य तु ते रूपम् VI. 65.14a महागिरिम् V. 57.14d समाल्याकुलमूर्धजाः V. 18.17d समा वस्तुं चतुर्दश II. 19.11d समा वाप्यथवावरा II. 20.42d समावार्य महातेजाः III. 51.23c "" "" For Private & Personal Use Only " www.jainelibrary.org

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