Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 1068
________________ १२३३ सहसाभिप्रधावतः VI. 67.117b सहसाभिहतस्तेन VI. 76.4la सहसाभिहतो मया II. 64 Igb सहसाभिहतौ वीरौ VI. 44.37c सहसा भीमनिर्घोषम् VI. 42.33c , भीभनिःस्वनाः VI. 67.13d सहसाभूत्ततो वेगात् VI. 22 I5a सहसा यत्र मैथिली VI. 92.37d ,. यान्ति वश्यताम् IV. 35.IId ,, युद्धशौण्डेन II. II4.17a सह सारथिभिर्वरः VII. 23.39b सहसा राक्षसः क्रुद्धः VII. 32.67c ,, राक्षसीगणः V. 30.22b ,, वानरोत्तमम् IV. 67.Id ,, विगतक्लमम् V. I.84d विनियोगोऽपि VI. I7.54c विप्रदुवुः VI. 75-5d , VII. 22.9d विप्रमोक्ष्यामि VI. 5.210 ,, विस्वरैः स्वरैः VI. 7L.I07d ,, शोकमुत्सृज्य IV. 67.2a ,, स तदोत्पत्य VI. 96.25a ,, समपूर्यत V. 44.4d सहसासीन्महोदधिः VI. 21.29d पहसा स्वर्गमास्थितः II. 64.18b , हनुमान्कपिः IV. 48.1b ,, ह्युत्पतन्ति स्म VI. 75.32c सहसीते सलक्ष्मणे II. I02.6b सहसे हृद्तं दुःखम् VII. 58.12c सह सैन्यानुकर्षिभिः VI. 84.If ., सैन्येन नैमिषम् VII. 92.2d ., , वीर्यवान् VII. 26.1b ,, ,, संवृतः VI. 85.22b सहसैन्यो व्यनीनशत् II. II0.30d सहसैव बभूवतुर्विदेही VII. 55.210 १३३ सहसै गवयोः स्नेहात् VI. 50.51c सहसैवोधतायुधः III. 38.17b सहसैवोपजल्पितम् II. 60.14b सहसोत्थाय वाग्यतः I. 2.24b संभ्रान्तः V. 27.24a सहसोत्पतिताः सर्वे II. 16.4c सहसोत्पत्य जग्राह VII. 32.63c सहसोद्गतचेतने II. 65.211) सह सौमित्रिणा रामः II. 6I.Igc : , , , III. 61.19c : सहस्ताभरणाङ्गदो III. 60.33d सहस्ताभरणी भुजों III. 26.13d सहस्त्रीबालवृद्धाश्च V. 53.10a सह स्त्रीभिः स्वमालयम् IV. 16.13b सहस्रकलशैवतम् VI. 95.31d सहस्रखरसंयुक्तः VI. 69.4c सहस्रचक्षुर्भगवानिवामरेः II. I.5Id सहस्रचरणः श्रीमान् VI. II7.21c सहस्रदैः सत्यरतर्महात्मभिः I. 5.23c सहस्रधारेण सपावकेन VI. 74.66c सहस्रनयनं यथा VII. 72.8d सहस्रनयनात्मजम् VI. 94.17b सहस्रनेत्रस्त्रिदशैरिवावृतः VI. 54.37d । सहस्रनेत्रः प्रीतात्मा IV. 66.28c सहस्रबाहोरुपलभ्य मैत्रीम् VII. 33.23b सहस्रबाहोस्ताद्धम् VII. 32.50a सहस्रमपर हतम् VII. I.id सहस्रमभिवर्तते VI. 27.28d सहस्रमसुराधिपे II. 9.45d सहस्रमुपतिष्ठति VI. 37.18d सहस्रमेकमेकस्य III. 55.15c सहस्रमेकं दश च I. 53.20a सहस्ररश्मिर्धरणीमिवांशुभिः VI. 60.95b सहस्ररश्मिभगवान् I. 22.23a सहस्रशतमश्वानाम् VI. 128.73c Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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