Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 1125
________________ सुराणामीश्वरः शक्तः II. 29.6c सुराणामीश्वरो ह्यसि VII. 61. Ind सुराणां च प्रमर्दनम् III. 32.12b ,, महात्मनाम् VI. 110.13b VII. 67.7b प्रणिपातेन I. 36.9c. राक्षसैः सह VII. 28.33b 33 " " " "" राजसूनुना I. 26.31b 29 वासवस्य च I. 63.25d विष्णुरात्मवान् I. 16.8b शाश्वती मता VII. 26.3gd सह राक्षसैः VII. 27.37b संनिधौ पुरा VII. 45.8d सुरभावन: VI. 35.16d सुरादीनि च पेयानि II. 91.21c सुरा देवर्षमेणेव VI. 33.9c सुराधिपस्योपवने VI. 125.28c सुराधिपाद्वरं प्राप्य VII. 18.23c सुरान्सहेन्द्रानृषिनागयक्षान् VII. 544c सुरान्सुरपतिस्तदा I. 36.25b पं ब्राह्मणं यथा II. 12.78d सुरा भवत निर्भयाः VII. 6.32d 21 विज्वराः VII. 6.21d सुरामन्याः सुनिष्ठिताम् II. 91. 15b सुरामांससदाप्रियाः V. 17.16d सुरारिनिलयं घोरम् VI. 4. 114c सुरारिभिस्तैरभिहन्यमान: VI. 67.88b सुरारी देवकण्टकान् VII. 8.25b सुरारींस्तान्हनिष्यामि VII. 6.32c सुराश्च क्षुभिताः सर्वे VII. 22.36c भूतानि सुपर्णगुह्यका: VI. 67.172b सर्वे संहृष्टाः I. 26.28a " 33 39 39 " " " " " सुराश्वापि सगन्धर्वाः VI. 50.47c सुराश्चाप्यभिपूजयन् I. 26.27b सुराष्ट्र राष्ट्रवर्धनः 1. 7.3b Jain Education International १२९० सुरासुरमहोरगान् IV. 29.22b सुरासुराणामपि दुर्जयेन V. 52.23b शीघ्रकारिण: V. 48.28d शोकदाता V. 48.2b संभ्रमप्रदः V. 47.12d सुरासुरानृष्यमसङ्गचारिणम् V. 47.5a सुरासुरान्प्रबाधन्ते VII. 5.16c सुरासुरा भूतगणा दिशश्च VI. 59.144b सुरासुरेन्द्राविव बद्धवैरौ V. 48.26d सुरासुरैरवध्यत्वम् VI. 71.32a सुरासुरैराचरितम् VII. 11. ga सुरास्तेनादितेः सुताः I. 45.38b सुरा हि कथयन्ति त्वाम् VII. 76.27a सुरां सुरापः पिवत II. 91.52a सुराः कृतसुरा अपि V. 11.22d शक्रपुरोगमाः III. 48.7d शृणुत मद्वाक्यम् VII. 29.ra सर्षिगणा रामम् I. 76.23c सुरुटेनापि वीरेण VI. 49.19a सुरूपवक्त्राश्च तथा हसन्त्यः V. 5.13c सुरूपं कामरूपिणम् V. rogb सुरूपा च यशस्विनी III. 34. 16b सुरूपांश्च सुवर्चसः V. 4.20b सुरेन्द्रगुप्तं गतदोषकल्मषम् I. 15.34d सुरेन्द्रदत्तं तृषिताः पिबन्ति IV. 28.35d सुरेन्द्रनीतैः पवनोपनीतैः IV. 28.46b सुरेन्द्र सिद्धर्षिगणाभिपूजितः I. 16.32d सुरेभ्यः सुरसंभवा: VII. 110.21b सुरेशमिव वासवम् V. 24.23d सुरेश्वरसमद्युतिः V. 51.4d सुरेश्वरसमाश्रिता: V. 48.3d सुरेषु सेन्द्रेषु च दृष्टकर्मा V. 48.20 सुरैरपि महामृधे VI. 55.8d सुदुष्करम् VI. 101.42d सुपूजितम् IV. 60.8b 33 ور در "" " 35 " .. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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