Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 1188
________________ १३५३ Page 420 Add after तान्पार्थिवान्वारणयूथपान्-ितां पुरी हेममालिनीम् VI. 128.33d 433 Read तुष्टुवु for तुष्टुवु in VI. 44.29c and VII. 37.3c 448 Add after तोमरैर्वज्रसंनिभैः-तोमरैश्च निशाचराः VI. 79.4b 453 Add after त्यक्ष्यामि धिग्जीवितमल्पभाग्यम्-त्यक्ष्यामि निरपत्र III. 21.16b 462 Add after त्वद्विधं मदमोहितम्-त्वद्विधं न तु संकुद्धः V. 21.23c 480 Read ददृशुस्तां for पशुस्तां in VI. II6.30a and Add after ददौ शतवृषान्पूर्वम्---ददौ शूर्पणखां नाम VII. 12.2c 539 Read affGaifa for grafísarfa in V. 28.19b 540 Read ध्रुवः and ध्वजिनः for ध्रुवः and ध्वजिनः in VII. 30.35b and V.4.20c respy. 542 Read नक्षत्र° for तक्षत्र in I. 34.16c 558 Add after न भूम्या कार्यमस्माकम्---न भूयः क्लेशमाप्नुयात् VII. 62.15b 560 Read god for go in VI. 5.5a 577 Read नानाकुसुम and नानादिग्भ्यः for नाना कुसुम and नाना दिग्भ्यः in II. 80.14b and II. 12.64d respy. 580 Add after नान्यान्हन्यात्प्लवंगमान्-नान्यो दोषो भवेदन III.7.1ga 600 Add after निर्वीर्यो जामदग्न्योऽसौ and निर्वैरो हि सुखी भव-निवृत्तमात्रे दिवसे II. 54.4c and निर्वैरं क्रियते मोहात् II. 9.9c respy. 641 Read पर्वतेन्द्रं for पर्वतन्द्रं in V. 57.13c 663 read पुत्रौ for पुत्रो in I. 66.5a and read after पुत्रौ दशरथस्येमौ 668 Add after पुरा भवति नोऽदूरात्-पुरा भूत्वा मृदुर्दान्तः III. 64.4a 669 Add after पुरी चेमां सराक्षसाम्---पुरीं जानपदा जनाः II. 6.26d 670 Add after पुरे वा दुर्मतिर्नरः-पुरोद्यानविभूषणम् VI. 64.44d 702 Add after प्रमदाभिः समंततः-प्रमदाभिः समंततः IV. 33.65b 739 Add after बभूव मदमत्तश्च-बभूव मलिनाम्बरा II. I0.8d 762 Add after भङ्क्त्वा प्रासादशिखरम्-भक्त्वा वनं पादपरत्नमालिनीम् V. 54.43a 784 Read भीमकर्मा for मीमकर्मा in V. 1.93d 786 Read भुञ्जाना and 'निकाशवीर्यः for मुञ्जाना and 'निकाशबीर्यः in V. 33.17c and VI. 74.47b 802 Read ब्रूत for ब्रत in VII. 95.3c 828 Read मूढवाता for मूढमूवाता in V. 28.8d 832 Read महोदरोऽयं for महादरोऽयं in VI. 65.10a 833 Read महोष्ठहनु° for महो ठहनु in V. 35.19c 844 Read मासं for नासं in VII. 89.22a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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