Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 1153
________________ १३१८ स्वमेव विपुलं शुभम् III. 71.7b ,, वेश्म प्रविवेश रावणः V. 22.46d खयमप्रस्तवे स्तवम् III. 29.19d वयमातिथ्यमादिश्य II. II7.6a खयमात्मानमात्मवान् VI. 41.85b खयमानीय बहींषि II. 87.20c स्वयमास्थाय राघवः V. 27.10b खयमाहृत्य राघवम् II. 37.6b स्वयमुत्थाप्य राघवः II. 9.29b खयमेत्य निशाचरम् III. 38.7d स्वयमेव गमिष्यति VII. 20.30d गमिष्यामि VI. 59.50 , न लज्जसे VII. 24.31b ,, प्रवेक्ष्यामि II. 74.3IC ,, प्लवंगम V. 3.30b . , ,, 45b ब्रवीषि माम् III. II.36d महामतिः VII. 4.16d महाराज I. II.I2c वधे धृतः VI. 37.30d व्यवस्थितः VII. 28.32b शचीपतिः V.I.131d सुसस्कृतम् I. 13.22b , हतः पित्रा II. 61.22c , हि धर्मात्मा I. 13.31a ,, बन्धुना VII. 24.29d ,, विश्रम्य VI. 28.62a स्वयमेवागतः शत्रुः VII. 68.19a खयमेवात्मना पुरा VII. I04.12d स्वयमेवानयस्व ह I. 13.23d स्वयमेवोत्थिता तत्र V. 3.21c स्वयं कार्याणि यः काले III. 33.4a ,, गत्वा दशरथम् III. 38.4a , गोदावरी नदीम् III. 64.6b , च कुशिकात्मजः I. 21.21b । स्वयं च मुदितः पिब VI. 64.29d ,, ,, रामोऽतिबलश्च लक्ष्मणः VI. 56.39b ,, चानन्तरे कार्यम् IV. 29.31e , चाप्रतिमो गुणैः IV. 29.17d ,, तत्र गमिष्यामि VI. 36.19c ,, तु भार्यां कौमारीम् II. 30.8a ,,रुचिरे देशे III. 15.7c ,, दाशैरधिष्ठिताः II. 89.16b ,, निपतितैर्भूमिः IV. 1.89c ,, निहन्तुमिच्छामि III. 24.14b ,, पास्यामि शोणितम् VI. 60.8od ,, पित्रा प्रचोदितः II. 19.8b , प्रकृतिमापन्नः VI. 3.19a वयंप्रभैः स्वतेजोभिः VII. II0.5c स्वयं प्रविष्टोऽद्य मुखम् VIl. 68.7c , प्रहर्ष परमं जगाम V. 31.I7c स्वयंभग्नासु भूतले II. 28.IIb वयंभुदत्तां युधि देवशत्रुः VI. 59.105d वयंभुदत्तेन ललाटदेशे VI. 59.102d खयंभुरोषापहतामिवावनिम् V. 54.42d वयंभुवं शक्र इवासनस्थम् VI. 62.4d स्वयंभुवा दत्तवरो महात्मा VI. 73.65a , ब्राह्मममोघवीर्यम् VI. 74.4b स्वयंभुवे चैव हुताशनाय V. 32.14b स्वयंभुवैव हनूमान् V. I.I87e स्वयंभुवैश्वानरशंकरान्वा VI. 59.128b वयंभुवो वाक्यमथोद्वदन्तौ VI. 74.3c वयंभूभवनं प्राप्ता VI. I3.12c स्वयंभूरजितो दिव्यः VII. 63.20c | स्वयंभूरमितप्रभः VII. 56.gd खयंभूरिदमब्रवीत् VI. 61.22d , , , 27b स्वयंभूरिव भूतानाम् I. 77.25a , , II. 1.6c । स्वयंभूरिव संमतः I. 18.25a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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