Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 1161
________________ १३२६ हतास्ते प्रययुः क्षितिम् VII. 23.37d ,, यमदण्डेन VII. 82.IIc ,, वानरैर्युधि VI. 62.16b हतास्त्वभिमुखाः पुत्रः II. 64.41c हता हतास्तु क्षिप्यन्ते VI. 74.72c ,, हि राक्षसाः क्षिप्रम् VII. 39.4c हतां नागवधूमिव II. 65.24d हृताः पुरुषसत्तमैः I. 25.22d , सपुत्रास्मि हताश्च पौराः II. 61.26c ,, सबलवाहनाः VII. 71.7b ,, समरदुर्जयाः VI. 7.17d ,, सर्वे समागम्य VI. 89.16c ,, स्म खलु ये नेह II. 57.12c , ,, सर्वाः सह मत्रिभिश्च II. 61.26D हते कुमारे स कपिर्निरी क्षतः V. 47.371 ,, तस्मिन्दुरात्मनि VI. 9I.14b , , VII. 41.6b ,, तस्मिन्न कुर्वन्ति VI. II3.40c ,, तस्मिन्हतं विद्धि VI. 85.16c , , सर्वम् VI. 65.45c ,, तस्मिश्चमूमुख्ये VI. 58.58a हतेति नगरी लङ्का VI. 3.30c हते तु लवणे देवाः VII. 70.za ,,,, वीरे प्लवगाधिपे तदा VI. 22.30a ,, विदानी हरियूथपेऽस्मिन् IV. 24.6c , नृपे संशयितेऽङ्गदे च IV. 24.5c , प्रहस्ते नीलेन VI. 58.56a ,, प्लवगशार्दूले IV. 22.27a ,, मन्दोदरीसुतः VI. 89.42d , रामे सह भ्रात्रा VI. 63.34c ,, रिपौ भीमबले दुरासदे VI. 7I.Iogd " , , नृपात्मजम् VI. 67.175d ,, लवणराक्षसे VII. 69.37b ,, शक्रसमप्रमे IV. 19.13d हतेषु तेषु पुत्रेषु I. 46.1a हतेषु तेषु सर्वेषु VII. I0I.10a हतेऽसुरे यथा त्रे VII. 38.14c , संयति शम्बसादने V. 35.88a हतैर्गजपदात्यश्वैः VI. 93.34a हतैर्वानरमुख्यैश्च VI. 44.14a हतेश्र कपिरक्षोभिः VI. 69.63c ,, राक्षसैर्भूमी V. 46.40c हतोऽग्रजं पश्यतु वीरवालिनम् IV. 31.3c हतो दग्ध इवाग्निना IV. 6I.IId ,, दुरात्मा दुर्बुद्धिः VII. 38.23a हतोऽद्य रामेण शरैरजिह्मगैः III. 39.25d हतो द्रक्ष्यसि वालिनम् IV. 34.17d ,, नस्तातमध्यमः VI. 69.2b ,, भ्राता च येषां वै VI. 95.18a हतोऽयं कुलनन्दनः VI. 32.4b हतो योजनबाहुश्च VI. 94.16a ,, योऽद्य विमोक्ष्यते III. 22.3d ... राम इति ज्ञात्वा VI.46.26c ,, रामः सह भ्रात्रा VI. 64.27c ,, रामेण दुर्बुद्धे VII. 68.14c ,, वाली महाबल: V. 16.7b हतोऽसि रामेण सहानुजस्त्वम् VI. 20.25f हतोऽस्मि यदि मामेवम् II. 90.15a हतोऽहं पुरुषव्याघ्र III. 4.11a हतौजसौ दैन्यपरीतचेष्टा: VI. 34.28c हतौजा इव निष्प्रभः VII. 2.1.22d हतौ तौ विद्धि राक्षसौ I. I0.14b ,, दृष्ट्वा स रावणः VI. 99.1b ,,, प्रेक्ष्य दुराधर्षों VI. 70.49c हत्वा अश्वानपातयत् VI. 79.30b ,, क्रूर दुराधर्षम् I. I5.29a ,, गृधं जटायुषम् IV. 6.4b ,, , ,, VI. 126.26d ,, च रामं सह लक्ष्मणेन VI. 12.39c ,, ,, रावणं संख्ये VII. 43.16a Jain Education International www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only

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