Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 1061
________________ १२२६ स वृष्यमाणो बाणोधैः VI. 71.95a सवेगमभिसंवृतः VI. 85.32b स वेगवान्महावेगम् VI. 70.13a ,, वेगवान्वेगवदभ्युपेत्य VI. 70.58a. ,, वेगवान्वेगसमाहितात्मा IV. 67.49a ,, वेगः कार्तवीर्येण VII. 32.7a सवेदनमिवाम्बरम् IV. 28.IId स वेश्मजालं बलवान्ददर्श V. 7.ra ,, वै कामी सह त्वया VII. 89.7c ,,,, गदामिर्ह रियूथमुख्यान् VI. 73.62a ,,, घातः सुजीवताम् VI. 66.20d सवैजयन्तास्तु गजाः II. 89.Iga स वै दत्तवरः शैलः V. I.136a ,,,, पुरुष उच्यते V. 55.6d ,,,, बन्धुः स नः पिता II. I05.38d ,,, राघवशार्दूल II. 25.3c .,, विषयपर्यन्ते VII. 74.270 ,,,, शैलो भविष्यति IV. II.58d स वै संवत्सरान्तरम् VII. 89.25b सव्यदक्षिणमेव च II. 92.13b सव्यपार्श्व महामुनिम् VII. 51.4d सव्यमुष्टिप्रहारेण V. 58.50a सव्यश्चोरूरनुत्तमः V. 27.450 सव्यं कृत्वा महात्मानम् III. 57.13a ,, चक्षुर्मया दैवात् VII. I3.2zc ,, पक्षमधिष्ठितः VI. 24.16d ,, पार्श्वमधिष्ठितः VI. 4.17d ,, बाहु बभञ्ज ह III. 45b ,, युद्धाभिनन्दिनः VI. 55.Iod ,, वीरस्तु लक्ष्मणः III. 70.gd सव्यालमृगपक्षिणम् VII. 87.15d सव्येतरकरागुल्या VII. 32.IIa सव्येऽपि च मही देवी VII. 109.6c सव्यो बाहुरकम्पत VI. 65.50d सवणैः प्रथमं गात्रैः VI. I20.17a । सव्रीड इव संवृत्तः I. 63.10a सव्रीडं चिन्तयाविष्ट: I. 55.8c स शक्तिमाशक्तिसमाहतः VI. 59.108a सशक्रगोपाकुलशाद्बलानि IV. 28.41b स शक्रवज्राभिहतो महात्मा VI. 6I.I5c सशकस्यापि रक्षिता V. 49.18d सशकाः सासरोगणा: VII. I06.16b स शक्रेण समागम्य VI. I26.51a ,, शङ्खनिनदैः पूणैः VI. 73.13a । सशङ्खभेरीपणवप्रणादम् VI. 60.38a स शङ्खमेरीपणवप्रणादैः VI. 59.8a ,, शङ्खशाशेवर्णन VI. 73.14a सशङ्खशुन्तिकाजालम् VI. 2I.I9c सशङ्खा रजनी चरा: VI. 42.36b सशत्रुघ्नं प्रहर्षितः I. 77.Id सशब्दं प्ररुरोद ह VI. III.god सशब्दो द्यां च भूमिं च II. 9I.27a स शम्बर इति ख्यातः II. 9.13a सशरं कार्मुकं महत VI. 92.30b , चापमुद्यम्य VI. 38.7c , धनुरुत्तमम् VI. 76.39b ,, वीक्षते वीरः IV. 16.32c स शरान्वञ्चयामास V. 45.9a स शरीरस्य भद्रं वः I. 60.27a सशरीरं महाबलम् VII. I06.17b सशरीरः सहानुजः VII. IIO.I2d सशरीरा गता स्वर्गम् I. 348a सशरीरो गमिष्यसि I. 59.4d , दिवं गतः II. IIO.12b " , यातुम् I. 60.25c ,, , यायाम् I. 58.18c " ,, व्रज I. 60.15b ,, नरेश्वरः I. 60.15d ,, महायशः VII. 76.2d , यथा दिवि I. 60.7b Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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