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विष्णोर्भागममीमांस्यम् VI. 59.1200 विष्णोस्तस्य महात्मन: VII. 69.28b विष्णो विमानपि IV. 58.13b विष्णोः पदमिवाकाशम् VI. 24.10C
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स्थानं महेन्द्रस्य III. 12. 18a विष्वक्सेनश्चतुर्भुजः VI. 117.14d विसर्जय च वानरान् VI. 120.1gd विसर्जयामास ततः स मन्त्रिण: VI. 36.22a तदा IV. 38.6c
VII. 38.19a
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पदं प्रेक्षमाणा II 68.1ga
पुत्रहितैषिणी II. 20. 14d
प्रक्रममाणस्य IV. 67.25c प्रचलितं मनः VII. 6. 43d
समीपमागत्य VII. 27.6c
समीपमाजग्मुः VII. 6.12c सहायान्बलिनः I. 17.20
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विसर्जयित्वा गच्छेति VII. 82.1gc
तान्विप्रान् I. 8.21c
तान्सर्वान् VI. 9.23c
सचिवान् VI. 31.5C
सचिवांस्ततस्तान् VI. 59.35a
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12.22C
विसर्जये त्वां सौमित्रे VII.106.1ga
विसर्जयेनान्सचिवान् IV. 25.47a
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सहरीन् IV. 38.2a
स्वजनम् II. 19.34c
स्वं वेश्म I. 8.23a
43.23c
95.16c
विभीषणम् VI. 10.2gd
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विससर्ज चमूमुखे VI. 96.16b
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च लक्ष्मण: VI. 67.101d
,, सायकम् VI. 71.7Id
विससर्ज च सारथिम् VII. 29.25b ततो गङ्गाम् I. 43. Ira
महाकपि: VI. 58.god
महामृधे VI. 45.14d
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रणे तस्मिन् VI. 70.340 शरान्दश VI. 46.1gd स राघवम् VII. 72.5d विससर्जाशु जनकम् I. 65.38c विससर्जेक वेगेन VI. 49.20a विससर्प समन्ततः VI. 76.84d बिसंज्ञ इत्र वानरः VI. 96.24d विसंज्ञमिव दुःखेन II. 34.180 विसंज्ञमेकं विजने मनस्वी IV. 30. 15b विसंज्ञश्रापतद्भुवि VI. 99.7f विसंज्ञस्य पितुस्तथा II. 19.28b विसंज्ञं पतितं भुवि II. 14.1b
राममब्रवीत् VI. 84.8d
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स पपात ह VI. 67.4gd
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विसंज्ञा इव तेऽभवन् VI. 58. 58f
भेजिरे दिश: II. 103.43d विसंज्ञामिव दुःखिताम् II. 30.26b त्रिसंज्ञे पतिते भुवि VI. 67.50b विसंज्ञो न्यपतद्भूमौ II. 77.11c
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मुनीन्नृपांच सर्वान् VII. 95.17c
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रावणं दृष्ट्वा VI. 59.1150
वानरं दृष्ट्वा VI. 59.90a शोककर्षितः II. 87. 5d
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विसंज्ञौ पतितावेतौ VI. 48.31c
शरपीडितौ VI. 47.18d
सपुरःसरौ VI. 88. Iod
बाष्पलोचन: VII. 71.17b मूर्च्छितश्चासीत् VI. 59.115a विमुखो रिपुः VII. 22.15d
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विसाये निपुणा दृष्टिम् I. 41.16a
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