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सतं प्रमुच्य त्रिदशारिमर्जुन: VII. 33.18a | स ताभ्यां पूजितः पूज्य: V. 57.36a
विक्षतैत्रिः V. 46.36a
,,,,, भ्रातरमाश्वास्य VI. 91.20a मणिवरं गृह्य V. 40.19c
सहसोलुत्य V. 46.30a
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• तामभ्यवदत्प्रीतः I. 11021a
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तामभ्यवदद्भिः I. 70.342
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,,,, यदा परिश्रान्तम् VII. 29.27a राजा समारुह्य VII. 15.40a रुचिरमाक्रम्य III. 15.ga वृक्षं समासाद्य II. 53.1a
शिरस्युपाघ्राय VI. gr.ga
समाविध्य सहस्रशः कपिः V. 17.352 समासाद्य गृहीतचापम् IV. 24.38
29
महानगेन्द्रम् VI. 74-512 हरि हरीक्षण: V. 47.8a समीक्ष्यानलराशिदीतम् VI. 74.58a ,,, समुत्पाटय समुत्पपात VI. 74.64a सुस्थितमाभाष्य II. 3. 38c
सैन्यसमुद्भूतम् II. 96.5a
ताञ्छरांस्तस्य हरिर्विमोक्ष्यन् V. 17.233
afsar fiato: 11. 71.70a
तादृशः सिंहबल: VI. 61.22a
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ता वा महाबाहुः V. 4242
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तानपि प्रेक्ष्य मुद्रा ननाद VI. 74.07b
तानपि वधिष्यति V. 36.36d
तानि दुमजालानि II. 98. 15a
शरजालानि III. 51.5a तानुपागमद्वीरः V. 64.5a
, तान्गृहीत्वा दुर्धर्षः VI. 112.200
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,, तान्दृष्ट्वा महावीर्यः III. 54.19&
तामिह्त्वा रणचण्डविक्रमः V. 53.40a
तान्प्रचिच्छेद हि राक्षसेन्द्र : VI. 59.102a
तान्प्रवृद्धान्विनिहत्य राक्षसान् V. 45.17a
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» तान्बाहुद्वयासक्तान् VI. 41.86a
तान्याभरणानि च IV. 6.150
तान्वृक्षान्समासाद्य VI. 59.76a
ताभ्यां पूजितो राजा VII. 51.5C
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महामेघनिकाशरूपम् VI. 67.6ga
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तामसितकेशान्ताम् III. 49.roa V. 18.32a
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ता महात्मा हनुमानपश्यन् VI. 74.61a तामाकुलकेशान्ताम् II. 52.430
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,, तामासाद वै राम: III. 75.142
तामुपस्थितो रामः III. 64.6c सतामेतदगर्हितम् VI. 18.3d सतारतारेवनलाः सरम्भा: VII. 36.470 सतारं शशिनं यथा IV. 34.6d सतारागण नक्षत्रम् III. 31.242 VI. 77.8c
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स तासां वचनं श्रुत्वा II. 36.23c सुतां च धर्मनित्यानाम् II. 4. 270
33
चैत्र वर्हितम् IV. 17.45b दारावलोकनम् IV. 33.61d
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स तां दृष्ट्वा ततः पम्पाम् III. 75.222 महाबाहुः V. 10.53a
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सतां धर्ममनुस्मरन् II. 82.6b
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सतां पद्मपलाशाक्षीम् III. 46.13a
VII. 56.15a
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धर्मः न IV. 18.15b धर्मातिवर्तिना IV. 17.44b
नानुभवे प्रीति II to5.9c
पथि स्वैर्नियमैः परैः स्थितः II. 94.27d
24
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परिवृतां दीनाम् V. 20.1a
परिषदं कृत्स्नाम् VI. 12.1a
पुष्करिणीं गत्वा IV. 1.1a वाणसहस्रे VI. 81.25a बुद्धिं पुरस्कृत्य II. 108.1Sa बुद्धार्थतत्त्वेत V. 1. 18ca
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