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लङ्का न मर्दितुं शक्या VI. 2. IIc ,, नाम पुरी दुर्गा VII. 6.15a ,,, ,, रम्या VII. 3.26a ,, ,, शुभा III. 48.rob ,, , समुद्रस्य III. 47.29a , नासादितुं शक्या VI. I9.39c ,, परमदुर्जया VI. 3.22d ,, परमभूषिता VI. 39.21b ,, पारे महोदधे VII. 98.5b ,, पुनर्निरालम्बा VI. 3.20a लङ्कापुरनिवासिनाम् VI. 19.15d लङ्कापुरं प्रदग्धं तत् V. 54.30c लङ्का प्रचलिता सर्वा VI. 41.56c ,, प्रतिहता सर्वा VI. 25.13a लङ्काभरणमित्येव V. 6.15a लङ्कः भवति निर्भया VI. 71.30b ,, भस्मीकृता येन VII. 35.7c लङ्कामपि पुरा नीताम् VII. 43.18a
, स रावणम् V.37.22d लङ्कामभिजगाम ह VI. 58.56d लङ्कामभिपतन्त्वाशु VI. 75.3c लङ्कामभिपतिष्यन्ति VI. 85.2 .c लङ्कामभिपतिष्यामि V. 2.44c लङ्कामभिमुखः कोपात् VI. 26.15a
पुरीम् III. 54.5d
, VI. 41.26d
स: VI. 90.770
___ सोल्का: VI. 75.40 लङ्कामभिमुखो ययौ VII. 8.I9d
, रक्षः VII. 23.53c
, विभुः VI. 23.14d लङ्कामभिययुस्त्रासात् VI. 56.32c लङ्कामभ्यपतन्भयात् VI. I08.25b लङ्कामलयदर्शनम् I. 3.28d लङ्कामलयसानुषु V. 39.50b
लङ्कामलयसानुषु V. 68.27b : लङ्कामवाप्य ते हृष्टाः VII. 5.29c लङ्कामारुरुहुस्तदा VI. 42.13d
, , I7d लङ्कामारोहयिष्याम: VI. 2.5c लङ्कामिमा सनाथां वा V. 37.39c लङ्कामीक्षस्व वैदेहि VI. I23.3c लङ्कामुद्योतयामासुः V. 2.5IC लङ्कामुन्मथितां कृत्वा V. 37.6c लङ्कामुपनिविष्टस्तु VI. 41.34a लङ्कामुपनिविष्टानाम् VI. 41.96c लङ्कामुपनिविष्टैश्च VI. 41.50c लङ्कामुष्णेन सर्वतः VI. 35.25d लङ्कामेव प्रधावन्त: VI. 79.40c ,, प्रधावितौ VII. 7.45d
,, प्रवेशिता VI. 48.35d लङ्कामेवातिवर्तते VI. 30.12d लङ्कामेवाभ्यवर्तन्त VI. 42.14c लङ्का यत्र गता पुरी V. 58.47b लङ्काया ईश्वरः प्रभुः VII. I2.22d
, उपरिस्थितः V. 27.16d ,, दुष्प्रवेशत्वात् V. 388a , निर्ययुर्वीराः VI. 75-49c ,, निर्ययौ तूर्णम् VI. 57.28a लङ्कायामभिषेवय VI. II2.9d. लङ्कायामभिषेचितः VI. 28.27b लङ्कायामशुभानि तु V. 26.24b लङ्कायामसि दृष्टवान् VI. 3.5b लङ्काया वचनं श्रुत्वा V. 3.31a लङ्कायाश्च प्रधर्षणे VI. 19.23b%3 लङ्कायाश्चापि मर्दनम् VI. II5.7b लङ्कायास्तद्रवीष्व मे VI. 3.3b लङ्कायास्तु तदा गुप्तिम् VI. 36.16c लङ्कायास्तूत्तरद्वारम् VI. 4I.33a लङ्कायां कान नौकसः VI. 24.3b
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