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प्रविश क्षिप्रमाश्रमम् II. 64.8d प्रविशत्वनघोऽनघे II. 52.91d प्रविश त्वं पुरीं शुभाम् IV. 26.15b प्रविशत्वप्रमेयात्मा VI. 37.28c प्रविश त्वं स्वमालयम् IV. 26.17d प्रविशन्तं निशाचरम् VII. 14.25b प्रविशन्तमयोध्यायाम् II. 59.10a प्रविशन्तं महाकपिम् V. 3.20b ,, महामुनिम् I. 48.23d ,, महावनम् VI. 124.5b प्रविशन्तावरिन्दमौ II. 43.13d प्रविशन्ति युगक्षये VII. 27.12d
, समुद्रस्य VI. 21.27c ,, स्म तां पुरीम् II. 69.Ib प्रविशन्ती रसातलम् VII. 97.20b प्रविशन्तीव गात्राणि VI. II6.3a प्रविशन्ती हुताशनम् VI. II6.28d
, , ,, ,, 31b प्रविशन्तु महोदयम् II. 3.20b प्रविशन्तो कदायोध्याम् II. 43.14a प्रविशन्नभ्रजालानि V. I.8oa
, I.ITIC " ., 57.8a प्रविशन्नाश्रमपदम् I. 29.25c प्रविशन्निध्यतंश्चापि V. 12.16c प्रविशन्नेव च श्रीमान् II. 4.Ioa
, सततम् IV. 33.21a प्रविशस्व स्विकां तनुम् VII. II0.9b प्रविशामोऽथवा वयम् II. 47.8d प्रविशाव हुताशनम् VII. 58.13b प्रविशुद्धसमाचाराम् VII. 75.12a प्रविशुस्ता गृहोत्तमम् V. 22.45d प्रविशेदं ममाननम् V. I.143d प्रविशेद्यदि वा वाली IV. 46.22c प्रविश्य कक्ष्यात्रिदशालयोपमाः II. 15.42b
। प्रविश्य च गृहं स्त्रियः II. 20.13b i , ,, दशाननः VII. 25.38d __, , पुरीं लङ्काम् VI. II3.2a
,, ,, सुसंभ्रान्ताः I. 32 24c ,, चात्मनो वेश्म II. 4.20a
तद्वानरसैन्यमुग्रम् VI. 67.94b
तावुभौ सुष्टु I 4.18c ,, तां सहास्माभिः VII. II.46c ,, तु तदा रामः II. 20.16a ,, ,, नृपालयम् II. 33.280 , ., महद्वनम् VI. 87.2b ,, ,, महारण्यम् I. I.4ra
, , III. I.la ,,. नगरं शुभम् IV. 26.5d ,, नगरी लङ्काम् V. 4.3a
, , VI. II2.23c ,, नरसिंहयो: V. 21.30b
नृपतिं सूतः II. 34.2c प्रथमां कक्षाम् II. 20.Ila
पातालतलेऽपि वाश्रिताम् III. 72.27b ,, भवनं सर्वम् V. 2.45c
महतीं लङ्काम् VI. 25.22a
मुनिपुंगवः VII. 96.14b ,, रक्षोधिपतेनिवेशनम् VI. 62.40 ,, रघुनन्दनः VII. 42.17b ,, राक्षसं सैन्यम् VI. 93.I7c
रात्रिंचरराज लङ्काम् VI. 59.141b , लङ्कामारामे VI. 35.27c
लङ्कां वेगेन III. 3I.Ic वेश्मातिभृशं मुदा युतम् II. 19.40a शापोपहतां हरीश्वरः V. 3.51a सर्वगात्राणि I. 32.23c स विशांपते II. I5.19d
सह वैदेह्या III. II.22a , सीता बहुवृक्षखण्डाम् VI. 48.37a
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