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देवर्षिपितृविप्राणाम् II. 4.14c देवर्षियक्षगन्धर्वान् VII. 13.8c देवर्षियक्षप्रवरः IV. 41.22a देवर्षिरमितप्रभः VII. 20.3b
, , 81.1b देवर्षिरिदस्तथा I. 2.2b देवर्षीणां भयावहम् I. 15.2gb देवलोकजिगीषया I. 60.3b , VII. 67.7d
, 76.3b देवलोकमवाप्नुयाम् I. 57.20d देवलोकमितो यात: V. 26.36c
,, वीर III. 7.9c देवलोकमुपागमन् VII. II0.26d देवलोकस्थितिरियम् VII. 26.39c देवलोकात्परिच्युतम् II. I3.Id देवलोकादिवामरौ I. 48.4b
, , 50.1gb देवलोकादिह च्युतम् IV. I7.9d देवलोकादिहागतौ IV. 3.12d देवलोके बभौ शब्दः VII. 27.2c
,, महीयन्ते II. II8.12c देवलोकं गमिष्यति I. 60.3d ,, प्रयत्नतः VII. 6.52b , महायशाः I. 44.16d
, मुनिस्तदा I. 2.3b देववत्परिपालय II. 58.18d देवशत्रु भयावहम् VI. III.I5b
, महौजसम् VI. III.IIb देवसङ्घाः सहर्षिभिः V. I.116b देवसधैः समर्चितम् VI. 90.66d देवसंघाप्लुतजलाम् II. 50.18a देवसंधैरनिन्दितः II. 9.13d देवसागरमक्षोभ्यम् VII. 6.41a देवसैन्यामिमर्दनम् III. 26.rod
| देवस्थानः प्रपाभिश्च II. I00.43c | देवस्याक्लिष्टकर्मण: VII. 58.12b
,, 80.8b देवस्यादूरतः स्थितम् VII. 16.13b देवा इन्द्रपुरोगमा: VII. 6.32b
,, 16.30d देवाक्रीडशताकीर्णाम् II. 50.15a देवागारं जगामाशु VII. 37.13c देवागाराणि शून्यानि II. 71.40a देवाञ्शक्रपुरोगमान् II GI.I3b देवात्सुमहदद्भुतम् VII. 61.15b देवा देवान्निजध्नुस्ते VII. 28.18a ,, दीप्ता इवाभवन् VII. II0.25d देवानग्निपुरोगमान् I. 49.1b देवानथाब्रवीत्तत्र VII. 27.3c देवानपि रणे हन्यात् V. 59.12b देवानामपि दुर्गमः IV. 43.57b देवानामभयंकर: VII. 60.23d देवानामिव नन्दने II. 91.81b
वासवः III. 37.13d
सैन्यानि VI. 4.54c देवानामेव दोषेण VII. 6.43c देवानां कार्यसिद्धये III. II.16d , च भयंकरम् VI. 36.5b , , भयं महत् I. 21.4d
... व्यतिक्रम्य III 5.4IC ,, चामृतोपमाम् VII. 85.22b
चारणैः सह VI. I08.30b दानवानां च II. 92.31a दानवैरिव VI. 79.2d न च रक्षसाम् IV. 43.28d
प्रवरो हरः VII. 16.27b ,, प्राणदंस्तथा VII. 9.36d
बलसागरम् VI.7.22b भयभीतानाम् VII. 6.33a भय संमोहः VII. 69.22c
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