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निकुच्य कर्णौ हनुमान् V. 1. 36c निकुम्भकुम्भौ च तथातिकाय: VI. 14.5C निकुम्भं निष्पिपेष च VI. 77.21b निहतं दृष्ट्वा VI. 78. ra मारुतात्मजः VI. 77.20d निकुम्भपरिघाघूर्णम् VI. 77.8e निकुम्भः प्रजहास च VI. 43.3od निकुम्भश्च महाबल: VI. gob निकुम्भश्चैव कुम्भश्च VI. 123.10 निकुम्भस्तु रणे नीलम् VI. 43.29a निकुम्भस्य च सारथेः VI. 43.3rd महात्मन: V. 54.15b निकुम्भाज वीर्य ते VI. 76.700 निकुम्भिलामधिष्ठाय VI. 82.25a निकुम्भिलाम भिययौ VI. 85.29c निकुम्भिलामसंप्राप्तम् VI. 85.14a निकुम्भिलायां संप्राप्तम् VI. 85.11a निकुम्भेन च मन्त्रिणा V. 49.11d
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महातेजाः VI. 43.9c निकुम्भेनोद्यतं दृष्ट्वा VI. 77.18 निकुम्भो नाम वीर्यवान् VI. 8.1gb भीमविक्रमः VI. 77.4d भूषणैर्भाति VI. 77.6a
भ्रातरं दृष्ट्वा VI. 77.
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निकुम्भोरसि वीर्यवान् VI. 77.15b निकुम्भो विचचाल च VI. 77.17b निकूलवृक्षमासाद्य II. 68.16a निकृत्त इव पादप: IV. 17. Id निकृत्तकर्णनासा तु III. 18.22a निकृत्तकवचध्वज VI. 88.60b निकृत्तचापं त्रिभिराजघान VI. 59.104a निकृत्तचाप: स हताश्वसूतः VI. 59.142b निकृत्तनास कर्णेन VI. 68.1a निकृत्तपक्षं रुधिरावसितम् III. 67.2ga निकृताहुर्विनिकृत्तपादः VI. 67.162a
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निकृत्तभोगानिव पन्नगेन्द्रान् VI. 59.98b निकृत्तमिव सालस्य II. 72.220 निकृत्तमूला इव शालवृक्षा: VI. 65.56d निकृत्तशिरसः केचित् VI. 95.51a निकृत्तशिरसस्तस्य VI. 97.33a निकृत्तहृदया सती V. 58.44d निकृत्ता इव किंशुकाः VI. 67.29d
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पादपाः VI. 53.30b निकृत्ताननबाहवः VI. 120.13d निकृत्तान्रात्रणात्मजः VI. 71.79b निकृत्ता सा सहस्रधा VI. 97. 14b निकृत्तः पादपो यथा VI. 31.27 d निकृत्य पतगा भूमौ VI. 80 30c निकृत्या पापकर्मणा V. 38.65d निकेतान्निर्ययौ श्रीमान् II. 16.32a निकेतं पाशहस्तस्य IV. 42.45c निकेतस्तत्र तत्र तु IV. 43.31b निक्षिप्तदेह काकुत्स्थ VII. 57.2a निक्षिप्तमात्रे गर्भे तु I. 37.21a निक्षिप्तवस्त्राभरणा V. 14. 150 निक्षिप्तविजयो राम: V. 20.26a निक्षिप्तं सहभूषणम् III. 54.3d निक्षिप्य कुशली व्रज III. 4.22b
गुल्मा स्वस्थाने VI. 84. Ic दीर्घौ निश्चेष्टौ VI. 109.3a
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भुवि दुर्जयम् VII. 79.6b निक्षेप मृगयाम्यहम् II. 11.20b निखातशिरसोऽपराः V. 17.1cd निखाते प्रक्षिपन्ति च VI. 126.130 निखिलेन कथां तव I. 45.3d
सर्वाम् I. 36.5a
मया श्रुतम् I. 75.1d
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देह काकुत्स्थ VII. 56.2a
नगरे चैतौ VII. 75.90 परमायत्तः VI. 77.21a
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