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प्रतिकूलं च राजवत् III. 4I.Id प्रतिकूलं प्रवर्तये II. 21.36b
,, प्रियं मे स्यात् II. 12.86c प्रतिकूलं ववौ वायुः VI. I06.28a प्रतिकूलां यथा प्रियाम् VI. 32.8d प्रतिकूलासि मे दृढा VI. II5.17d प्रतिकूलितुमिच्छामि III. 24.13a प्रतिक्रियास्य युक्ता स्यात् V. 53.35a प्रतिक्षणं सर्वत एव शङ्कितः III. 43.51d प्रतिगच्छाम तां पुरीम् VI. 121.7d प्रतिगन्तुं मनश्चके V. 56.25a प्रतिगन्तुमितः पुरीम् IV. I0.18b प्रतिगम्य स राक्षसः VI. 20.2b प्रतिगर्जन्ति चापरे V. 57.42d प्रतिगृह्णाति वीर्यवान् IV. II.5d प्रतिगृह्णातु वै जराम् VII. 59.4d
, वै राजन् VII. 59.4d प्रतिगृह्णीष्व काकुत्स्थ VII. 76.31a
भद्रं ते VII. 78.23c . मामकान् III. 5.31b मैथिलीम् VI. 1I8.rob यानार्थम् VII. 3.19c
वैदेहीम् II. II7.8c प्रतिगृह्य च काकुत्स्थम् III. 12.26a ,, ,, काकुत्स्थः I. 27.27a
,, तत्सर्वम् IV. 38.la ,, , , VII. 39.13a ,, ,, तत्सीता II. 118.22a ,, ,, तद्वर्षम् III. 26.40
,, तं विप्रम् I. II.7a
,, मेदिनीम् I. 29.20b ,, ततः पूजाम् VII. 76.22a , ततो रामः VII. 15.32a ,, ततो वीरः V. 38.67a
ततोऽस्त्राणि I. 28.1a
| प्रतिगृह्य तदा पूजाम् VII. 65.7a
, तु तत्सर्वम् II. 70.6a ,, ,, ,, VII. 60.9c ,, ,, तद्वाक्यम् II. 4.4a ,, ,, तां पूजाम् I. I0.18a
" " , 50.8c " , , 52.4a
" , , 74.24a ., ,, तामर्चाम् II. 54.20a
, धर्मेण VII. 3.4a
,, संदेशम् VI. II2.25c , विलोकार्थम् I. 35.18a , दिवाकरम् III. 23.3d , नृपात्मजः VI. I24.18d
पितुर्वचः VI. 80.5d ,, पुरीं लङ्काम् VI. 30.34c , मणिं दोाम् V.67.3Ic ,, महौजसः V. 46.17d ,, विशालाक्ष II. 70.4c ,, स मारुतिः VI. 86.20d प्रतिगृह्याभिवाद्य च V. 38.68d प्रतिगृह्यामरा भागान् I. I8.IC प्रतिगृह्यावतारित: VI. 20.17d प्रतिगृह्याब्रवीद्राजा II. 3.IC प्रतिग्रहो दातृवशः I. 69.140 प्रतिघातश्च ते मा भूत् VII. 41.15a प्रतिघ्नन्त्यपरान्क्षिप्रम् II. II6.15c प्रतिचन्द्रसमाकुलम् VI. 4.IIId प्रतिचिक्षिपुराहवे VI. 76.20d प्रतिचिच्छेद रावणः VI. 59.76d प्रतिचुक्षुमिरे चाशु VI. 22.7c प्रतिच्छन्ना निवर्तितुम् VI. 34.3d प्रतिच्छन्नाश्च दृश्याश्र IV. 18.38a प्रतिच्छन्नी विभीषण: VI. 25.13d प्रतिजग्मुर्यथागतम् I. 18.1b
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