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ददर्श राज्ञः परिचारवृद्धान् V. 48.57c ,, राममासीनम् II. 99.26c ,, राम शरचापपाणिम् IV. 24.27c , रामः शतशः III. II.75c , रामो दुर्दर्शम् II. I00.IC , , महता बलेन VI. 39.27d ,, ,, विमलं महापथम् II. 16.47d ,, रावणस्तत्र VII. 23.22a ,, रावणो मार्गे VII. 2I.I7c ,, रूपसंपन्नाम् V. I0.500 ददर्शक्षपतिस्तदा VI. 83.5b ददर्श लङ्काधिपतिः पृथिव्याम् III. 51.45c ,, लङ्काधिपतेगृहाणि V. 7.4d ,, लङ्काममरावतीमिव V. I.202d ,, लङ्का सुन्यस्ताम् VI. 40.3a ,, ,, हनुमान्महामनाः V. 54.42c ,, लवणं पुन: VII. 69.32b ,, वदतां वरः II. II0.13b , वध्यमानांश्च VII. 2I.I2a ,, वानराणां तु VI. 47.16c , वानरान्भीमान् IV. 31.I7c ,, विगतप्रभम् III. 57.14b
विपुलं रम्यम् VI. 62.30 विबुधेश्वरम् III. 5.6b विमलं शैलम् III. 7.2c , विविधान्गुल्मान् V. 6.30c
विविधान्द्रुमान् V. 14.2d विविधायुधान् V. 4.20d विष्ठितं यज्ञम् VII. 25.3c विष्ठितान्द्वारि II. 16.3c
वेश्माद्रिषु चन्द्रशाला: V. 7.2d ,, वैवस्वताकिंकरांश्च VI. 74.55d ,, शयनासनाम् V. I0.Id , शिखिसंनिभान् V. 14.38d ,, शिरसा चैनम् I. 70.13a
| ददर्श शीतांशुमथाभियान्तम् V. 5.2d
,, शुक्लपक्षादौ V. 15.Igc , स कपिः श्रीमान् V. 2.Igc ,, ,, कपिस्तस्य V. I0.2ra ,, ,, तु रावणः VII. 18.2d ,, ,, महाकपिः V. 4.21d
, 4.2Id , 6.14b , 6.27d ,, IO.LIb , 14.31b
,, 14.37b ,, स महातेजाः V. II.36e , ,, महात्मन: V. I0.15b ,, , महाबल: IV. 33.22d
, VI. I0.9d , ,, महाबाहुः VII. 21.21a ,, ,, महासत्त्वम् V. I.I78a ,, सौषधिपर्वतेन्द्रम् VI. 74.57d ,, सहमारीचः III. 42.12a ,, सहसा चापि VI. 74.52c , ,, जनः II. I03.45d ,, सा इला तस्मिन् VII. 88.9a ,, सागर भीमम् V. 56.4la ,, सीतां ध्यायन्तीम् I. 1.73c ,, ,, वैदेहीम् IV. 57.10a ,, सुमहत्सरः VII. 75.13d , सुमहद्गुप्तम् IV. 33.19c ,, सुमहाकायम् III. 69.26b ,, सुमहात्मनः V. I0.30b , सुरभि स्थिताम् II. 74.18b ,, सूतः पर्यङ्के II. 16.8c
सौमित्रिमदीनसत्त्वम् IV. 33.66c ,, स्वसुतं तत्र VII. 25.40 ,, हनुमान्कपिः V. 2.20d
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