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ततो , संक्रुद्धः III. 25.16c ,, रामस्य सत्कृत्यः III. I.16a ,, रामानुजः क्रुद्धः VII. I0I.7a , रामाभ्यनुज्ञातम् VI. 127.38a
VI. 127.6ra रामेण संदिष्टः VI. 126.20c ,, रामो जलं स्पृष्ट्वा I. 22.21c
,, धनुष्पाणि: IV. 12. Iga , , , VI. 126.24a
रामोऽपि संक्रुद्धः VI. I07.10a रामो महातेजाः IV. 16.32a ,, ., VI. 24.22a
VI. 59.134a VI. 61.la
VI. 93.17a
, VI. 99.13c
, VII.31.la महायशाः I. 22.6b. रामं यथातत्त्वम् V. 35.50 ,, यथान्यायम् III. 34.5a ,, विसर्जय I. I9.17b
,, स्थितं दृष्ट्वा IV. 8.IIa ,, रावणदाराश्च V. 58.65a ,, रावणनीतायाः V. I.Ia ,, रावणमारीचौ III. 42.9c ,, रावणवेगेन VI. I00.36a , रुचिरताम्राक्ष: II. 504a ,, रुदन्त्यो विवशाः II.76.22a
रुद्राः सहादित्याः VII. 27.22a
रुधिरसिक्ताङ्गम् VII. 23.2a ,, रुधिर सिक्तानि VI. 88.75a ,, रुमायाश्चरणौ ववन्दे IV. 31.36d , रोषपरीताङ्गः IV. 15.3a ,, रोषपरीताङ्गो VI. 97.29a ,, रोषपरीतात्मा VI. 58.44a
ततोऽर्कवैश्वानरकाञ्चनप्रभम् VII. 35.65a ततोऽयमुपहारयत् I. 18.44b ततोऽर्जुनः स्वां प्रविवेश तां पुरीम् VII. 32.73c | ततोऽर्जुनेन क्रुद्धेन VII. 32.6oa
ततोऽर्धगुणविस्तारः V. 58.30a ततोऽर्धदिवसे प्राप्ते VII. 52.2a
, , 68.4a , ,, ,, 82.18a ततोऽर्धरात्रसमये VII. 66.2a ततो लक्ष्मणमब्रवीत् III. 18.6d
, 18.18d ,, लक्ष्मणमायान्तम् III. 57.14a ,, लक्ष्मणमासाद्य VI. 127.41a ,, लक्ष्मणसुग्रीवो VI. II.4.32a ., लोकत्रयं जित्वा VII. 20. IC ,, ,, लब्धम् VII. 22.6a ,, लोकांश्चकार सः VII. 63.23d ततोऽवघोषय पुरे VI. 6.4.27a ततो वचनमब्रवीत् VI. I02.8d ,, वज्रहनु म VI. 8.2 IC ततोऽवतारयामास II. 5.7c . ततो वध्यो भविष्यति VI. 84.18d ,, वनं तत्परिभक्ष्यमाणम् V. 61.20a , वनमुपागमम् VII. 78.7d ,, वयमितस्तृर्णम् VI. 8.16a , वरार्हाः सुविशुद्धभावाः V. 5.171 ततोऽवर्धत मे कायः V. 58. IION
, वाली तु IV. 16.26c ततोवर्धितुमारेभे V. 37.36c ततो ववन्दे चरणौ II. 18.2c ,, वसिष्ठप्रमुखाः I. 13.40a ,, वसिष्ठः सुप्रीतः I. 13.35c ,, वसिष्ठस्तेजस्वी VII. I09.3a
, वसिष्ठो भगवान् I. 52.12a ,, वस्त्रगतं भुक्त्वा V. 38.66a
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