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तस्य लालहस्तस्य II. II8.28a ,, वर्म च पुस्फोट VI.76.86a ,, वर्षसहस्रस्य I. 65.40 ,, वर्षसहस्राणि I. 42.130
, ,,63.150 ,, वाक्यं महात्मनः VII. 2.13d ,, , यदि रुचिः IV. 31.34a . ,, वाक्यस्य निश्चयम् VII. 105.8d
, वाक्यान्ते VII. 108.17a ,, वानरराजस्य IV. 37.16a
वानरशार्दूल VI. 74.32a वानरसिंहस्य V. I.62a वा वचनक्रिया II. I9.22d विक्रमकालांस्तान VI. 9.8c विक्रमसंपन्नाः V. 39.35a
, ,, 68.18a विघ्नकरों द्वौ तु I. I9.4c ,, विद्युत्प्रभाकारे V. I.56a ,, विश्रममाणस्य I. 62.2a
विस्फारघोषेण V. 44.4a वीर्यवतः कश्चित् V. 38.43a वीर्यवतो देवि V. 35.74c वेगप्रविद्धस्य IV. II.48a वेगसमुघुष्टम् V. I.71a वेगसमुद्भूतैः V. I.53a वेगेन तत्रासीत् VI. 76.87a वेश्मनि राघव I. 31.13b
वै नरसिंहस्य III. 37.Iga ,, ,, मुनिभिः सह I. 15.24d
,, यजमानस्य I. 61.6a व्यतिक्रमाद्राज्ञः I. 9.8c
व्यायच्छमानस्य III. 51.42a ,, शक्ष्यामहे वयम् I. 58.6b ,, शद्धं सुमधुरम् VII. 72.2a ,, शदस्य निश्चयम् I. 24.5d
तस्य शब्दस्य निश्चयम् I. 24.8b ,, शद्वोऽभवद्भीमः II. II8.49c , शद्बो महानासीत् I. 67.18a
शल्यापकर्षणे II. 63.47b , शस्त्रस्य संवासात् III. 9.22c ,, शापेन महता I. 64.15a ,, शिष्यास्ततः सर्वे I. 2.39a ,, शृङ्ख दिवस्पर्शम् IV. 42.18c ,, ,, महत्तदा VI. 67.124b , शैलस्य पृष्ठेषु IV. 40.65a , , मूर्धनि III. 73.33b , , शिखरे IV. 27.4a , , सानूनि III. 61.21a , संक्रीडमानस्य I. 36.6c ,, सत्याभिसंधस्य V. 31.7a ,,. संत्वरमाणस्य III. 57.2a ,, संदिदिहे बुद्धिः V. 15.38a
संनादशद्वेन V. 42.37a ,, संपूजयन्वाक्यम् VI. I3.9c ,, सर्व प्रदक्षिणम् VI. 83.38b ,, सर्वसमृद्धस्य V. 23.15a
संविशतस्तत्र IV. 55.17c ,, संस्तूयमानस्य IV. 67.5a , सा कायमुद्वीक्ष्य V. I.I8ra , साध्वनुमन्यन्त II. I05.13a ,, सानुषु कूजन्ति VI. 4.86a ,, सा शर्वरी सर्वा I. 45.4a , ,, शुशुमे छाया V. 1.75c ,, साहाय्यमस्माभिः V. 58.142a ,, सिध्यन्ति सर्वेऽर्थाः IV. 3.35c , सीता हृता भार्या V. I.146c " , , , , 58.26a
सुस्राव पात्यतः IV. II.41d " , , , , 46b , , रुधिरम् VI. 76.51c
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