________________
तेन त्वां नानयत्याशु V. 36.33c ,, त्वामपि शप्स्येऽहम् II. 64.53c ,, त्वेत प्रहृष्टं मे III. 75.50 ,, दग्धं जगत्सर्वम् I. 45.20c ,, दग्धेन गच्छतु V. 53.3d ,, दत्तं महात्मना V. 36.3b ,, दर्शनकामेन VI. 32.36c ,, दुःखमतो वनम् II. 28.22d ,, दुःखेन रुदती II. 56.35c ,, दृष्टं प्रविष्टोऽहम् III. 38.17a ,, देवप्रकाशने V. 35.40a ,, धर्मात्मना शप्तम् IV. 48.13c , धर्मानुवर्तिना VI. 9.16b
न श्रद्दधामि ते II. I2.20d ,, नादेन महता I. I.68c ,, ,, ,, V. 43.13a ,, ., ., VI. 60.47c ,, ,, ,, ,, 95.37a , नास्तीति मे मतिः VI. 83.15d ,, निर्यातिता च ह VII. 30.26d , नीताः स्त्रियः प्रीतम् VII. 26.59c ,, पादतलकान्ता V. 56.38c ,, पादपमुक्तेन V. I.I3a ,, पापानुबन्धेन I. 33.4a ,, पापेन युज्येत II. 75-58c , पित्राहमप्यत्र II. I07:7a ,, प्रस्थापितस्तुभ्यम् V.58.142c ,, प्रस्थापिता वयम् IV. 57.14d ,, बद्धस्ततोऽस्त्रेण V. 48.38a ,, बाणं भुजंगाभम् VI. 71.840 ,, बालवधो ह्ययम् VII. 74.28b ,, बाहुसहस्रेण VII. 32.I9a ते न वृद्ध या प्रकाशन्ते III. 33.6c तन भाण्डेन विस्तीर्णम् II. 78.18a ,, भीमं जनस्थानम् III. 31.4a
| तेन मर्मणि निर्विद्धम् III. 44.20a ,, मां मोद्भुमिच्छति VI. 24.40d ,, , , ,, 4Id ,, मामद्य संयुक्तम् VI. 92.29a ,, मामभिगच्छति VI. 13.18d , मार्गेण गच्छन्तः III. 64. Iga ,, ,, सहसा V. I.77c ,, मुक्तस्ततो बाणः III. 38. Iga ,, मुष्टिप्रहारेण VI. 59.II3a " , , 70.45a ,, मे कथितं राजन् V. 58.139a ,, मैत्री भवतु ते V. 21.20c ,, मोहयता नूनम् VI. 84.15c ,, यक्षेण ताडितः VII. 14.27b ते नयन्ति परं तीरम् IV. 43.38a तेन युष्मप्रियार्थ हि VII. 85.4c ,, राक्षसराजश्च V. 58.147c ,, राज्ञाभिचोदितः I. 41.6d ,, , VI. 24 26d ,, रात्रौ शयानो मे VII. 17.13e ,, रामेण कैकेयि II. II.7c ,, , , ,, ,, 8c ,, , सौहृदम् IV. 15.24d ,, रावणसूनुना VII. 12.29d ,, लक्ष्मण नाद्याहम् II. 53.26c ,, वभ्योऽहमाज्ञप्तः V. 58.146a ,, वाक्येन चोदिताः I. 18.41b ,,, तोषितः V. 38.1b
,, मातलि: VI. I06.14b , मातले: VI. I08.3b ,, मोदिताम् VI. 34.1b
, संहृष्टा II. II.12a ,, ,, हर्षित: IV. 8.1b , वानरमाण VI. 6.2c ,, वामांस फलके VI. 98.19a.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org