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त्रिंशत्कोटीहिरण्यस्य VI. 128.74c त्रिंशद्योजनमायता V. I.74b त्रिंशद्योजनमुच्छ्रितः V.56.5ob त्रिंशद्योजन विस्तीर्णा VII. 5.24c त्रिंशद्वर्षसहस्राणि I. 41.26c
" , 42.8c त्रिशिराः करवीराक्षः VII. 27.30c
,, काञ्चनः केतुः IV. 40.53a त्रिशिरा दूषणश्चापि VI. 79.19
निशितैर्बाणैः VI. 70.35c , निशितैः शरैः VI. 70.8d
रथमास्थाय VI. 69.23a ,, राक्षसोत्तमः VI. 70.40b , रावणात्मजः VI. 69.22d
, , 70.37d , वाक्यमब्रवीत् VI. 6g.Id त्रिशिराश्च निपातितः V. 16.10b
___ महाबाहुः III. 36.3a त्रिशिराश्चाङ्गदं वीरम् VI. 70.9c त्रिशिराश्चातिकायश्च VI. 68.7c " , 69.70
__, I23.9c
VII. 1.23a त्रिशिराश्चापमाददे VI. 70.32b त्रिशिरास्तच्छरैस्तीक्ष्णैः VI. 70.33c त्रिशिरास्तदनन्तरम् VI. I26.1gd त्रिशिरास्तं प्रचिच्छेद VI. 70.7a त्रिशिरास्तु रथेनैव III. 27.7a. त्रिशिरस्त्यक्तचेतन: VI. 70.42d त्रिशिरोवक्षसि क्रुद्धः III. 27.14a त्रिशीर्षाविव पन्नगौ I. 22.7d त्रिशूलकालायसपट्टिशायुधम् V. 41.12c त्रिशूलमस्त्रं घोरं च I. 56.12a त्रिशूलैर्वज्रकर्षणैः VII. 32.34b त्रिशूलैश्चापि संश्रितैः VI. 52.5d
त्रिशृङ्ग इव पर्वतः III. 27.7d
,, ,, ,, VI. 90.34b त्रिषु चैतेषु यच्छेष्टम् VI. 63.10a ,, लोकेषु कोऽन्योऽस्ति VII. 18.10a ,, , चान्या मे VI. 12.13c ,, , धर्मज्ञ I. 36.4a ,, ,, मानद VII. 51.18d
, रत्नानि VI. 92.40a , राघव III. 7I.34b " , VI. 2.17b " , , 17.35b
वा राम I. 22.15a विख्यातम् III. 49. Ila
, VI. 31.43c
, VII. 2.32e विख्यातः I. 21.7a fattiat VII. 5.20 विद्यते VII. 18.IIf
विश्रुतः I. 6.2d ___ , , 29.5d ,, ,, III. 56.3b
,, IV. 4.23b ." , VI. 26.24b ,, ,, विश्रुतम् III. 7I.Id , ,, वीर्यवान् VII. 67.5d
, 78.3d त्रिः सप्तकृत्वः पृथिवी IV. 66.32c त्रिसमस्त्रिषु चोन्नतः V. 35.17b त्रिस्थान करणान्वितम् VII. 71.15b त्रिस्थानव्यञ्जनस्थया IV. 3.33b त्रिस्थानस्वरभूषितम् V. 4.Iod त्रिस्थिर स्त्रिप्रलम्बश्च V. 35.17a त्रीणि चैकं च दुःखिता II. 30.21d ,, द्वन्द्वानि भूतेषु II. 77.23a " , वा पुनः VI. 63.9d
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