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ताते दिष्टां गतिं गते II. 1038b
, लोकान्तरे गते II. I03.12d तातो मामिव लक्ष्मण II. 53. Iod ता ददर्श कपिश्रेष्ठः V. I7.I7c तादृग्रूपे स्म दृश्यते VI. 4.116c तादृशं स्वममर्यादम् II. 35.IIC , , , ,, 130 , दर्शनं दृष्ट्वा VI. 48.30c ,, प्रतिकुर्वात IV. 36.6c , फलमश्नुते VII. 15.23d , वालिन: क्षिप्रम् IV. 25.33a तादृशस्य महात्मन: II. 48.17b तादृशानां महात्मनाम् VII. I0I.gd
, सहस्रेस्ताम् I. 5.22a तादृशान्यप्यरण्यानि IV. 48.6a तादृशी क्रूरदर्शिनी III. 16.35d
,, तद्विशिष्टा वा V. 9.9c तादृशे तत्र वर्तिनी IV. 26.40d
,, ब्रह्मवादिनि II. 64.24d तादृशैरिह कुर्वन्तु IV. 25.32c तादृशो दूत आगतः II. 16.19b
, दृश्यतां देशः III. 15.4c तानतीत्य समासाद्य IV. 19.26a तानद्य निहतः संख्ये III. 29.12c ताननुज्ञाप्य सर्वशः II. 5.13d तानपश्यत्ततो दिवि I. 30.13d तानप्यत्र नियोजय II. 36.4d तान प्राप्ताशितैर्बाणैः VI. 71.69c
90.27a तान ब्रवीत्ततो रक्षः VII. 23.4ga
, वाक्यम् VI. 29.18a तानमात्यांश्च सर्वशः II. 99.8d तानरीन्विधमिष्यन्ति VI. 2.22c तानर्दयित्वा याणौघैः VI. 46.23a तानलक्षयदुत्सुकान् II. II6.2d
तानश्वान्रुचिरप्रभा VII. 22.7b तानहं योधयिष्यामि VI. 63.43a
, 67.IIIC ,, समतिक्रान्त VII. 6.21a , समतिकान्ता III. 17.24a ,, सहसैन्यान्वै V. 58.124a ,, सुमहाभाग III. 7.20c तानानय यथाक्षिप्रम् I. I3.29a तानारुह्याथवा भूमौ III. 73.5c
, , , 73.9c तानानिष्टसंज्ञांश्च VI. 50.28a तानि काञ्चनजालानि V. 54.22c ,, कोटिसहस्राणि VI. 22.74c ,, गत्वा सुसंक्रुद्धः VII. 13.9c ,, चान्यानि रक्षांसि VI. 67.IIc ,, चास्त्राणि वेत्त्येषः I. 21.18a
चास्वाद्य तेजस्वी I. I0.21a
चिच्छेद बाणोंधैः VI. I00.ga ,, तानि च पूर्णानि V. II.27a ,, ,, तदा तदा II. 77.12d ,, तान्यात्मरूपाणि VI. 59.85c ,, ते भीरु सर्वाणि V. 20.17c , त्वामभिरक्षन्तु II. 25.5c , दिव्यानि भद्रं ते I. 27.4a ,, दृष्ट्वा निमित्तानि III. 57.13c " , , VI. 78.20a ,, , महार्हाणि V. 35.42a ,, द्रक्ष्यसि राघव II. 54.42b ,, नागसहस्राणि VI. 94.1a
निर्दह्यमानानि VI. 75.25c ,, नीडानि सिंहानाम् IV. 42.17a
पर्वतशृङ्गाणि VI. 67.16a ,, पुत्रपशनन्ति II, 100.59c , प्रयत्नामिसमाहितानि V.7.4a ,, भक्षय नित्यशः VII. 78.14d
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