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तं दृष्ट्वा निहतं शूलम् VI. 79.37a ,, ,, ,, संख्ये VII. 27.51a , ,, पतितं भूमौ III. 44.21c , ,, ,, ,, 51.44a
,, ,, VI. 76.25a , , , I08.23a परमप्रीतः I. 52.Ia ,, परमप्रीती I. 23.7a
प्रणतं पार्श्वे II. 3.33c भरतः श्रीमान् II. 98.17a __ , , ,, 99.29a
, भीमसंकाशम् I. 74.20a ,, ,, भुवि पातितम् VII. 69.15b ,,, मन्त्रिणः सर्वे I. 58.IIc ,, दृष्ट्वामरसंकाशम् VII. 9.4c ,, दृष्ट्वा मुनयः सर्वे I. 29.26a
,, मुनिमायान्तम् VII. 49.14c ,,, राक्षसश्रेष्ठम् VI. 61.2a
, , 67.140a राक्षसाः सर्वे VI. 95.32a राघवं वाली IV. I7.14a लोकवध्या सा VI. 94.7c वज्रदंष्ट्रस्य VI. 51.21a वदनान्मुक्तम् V. I.159a वन्दमानं च V. 34.13a वानरमुखम् VII. 16.14a वानरा घोरम् IV. 48.17c वानराः सर्वे IV. 31.18a
,, ,, VI. 38 12a वेश्मसंविधिम् II. 91 37d शत्रुहन्तारम् III. 30.39c
सगुणं चापम् III. 25.2a ,, ,, सहसोत्थाय VI. 95.32c ,, देवदेवोपममात्मजं ते II. 2.54a , देवाः प्रीतमनसः VII. 70.6a
|, देवा वासवं यथा II. 3.26b
,, देशं नोपचक्रमुः VII. 2.14b ।, देशमनुसंप्राप्तः V. 58.65c ,, देशमहमागम्य II. 63.35c ,, देशमुपचक्रमे IV. 56.1d » » VII. 87.10d
,, 87.15b ,, देशमुपपेदिरे VII. 2.9d ,, देशं पतगेश्वरम् IV. 58.35b ,, ,, प्रभया तस्य VII. 21.9a ,,, रघुनन्दनः VII. II0.2d ,, ,, राक्षसी काचित् III. 17.5c ,,, समतिक्रम्य IV. 43.3IC ., ,, समुपाजग्मुः VII. 86.7c ,, द्रक्ष्यसि यदा भद्रे VII. 30.43a ,, द्रुमाणां शिलानां च VI. 73.4la ,, धर्ममिव धर्मज्ञम् VI. 125.35c ,, धर्मेऽमिषु पुत्रेषु VII. 33 13a तन्नः कोऽद्य करिष्यति II. 77.15d तन्नक्रमकराकीर्णम् V. 9.7a तन्न खल्वेष ते सौम्य VII. 22.43a तं नखैर्दशनैश्चापि VI. 67.32a ,, नगोत्तममब्रवीत् V. I.123b तन्न जाने प्रभाव VI. 72.7c तं न देवा न गन्धर्वाः III. 19.IIa "', , , , VI. 94.27a ., न पश्याम्यहं युद्धे VI. 72.9c ,,, पश्यामहे लोके VI. 94.38a ,, नर्मदाह्रदं भीमम् VII. 32.24a तन्न वर्णयितुं शक्यम् VII. 35.I7c ,, विश्वसनीयं वः VI. 50.54a ,, शक्ता नमयितुम् II. 118.40c , शक्ष्यामहं गन्तुम् II. 52.48a ,, सिध्यति सौमित्रे III. 45.25a तन्नाईत्यवसादितुम् V. 1.87d
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