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शुद्धाशुद्धि ।
पृष्ठ सं० पंक्ति सं० अशुद्धियां ।
शुन्द्रियां। ३ २४ तदृष्ट्वा ।
ਨਵ गणघर
गणघर मोक्षमुख
मोक्षमुख जो बकरे के समान अतिशय जैस बाग अतिशय कामी होना कामी हैं ये बकरेके जैसे है। वही जो शाम मनन -
शय कमी होय योस। ९ १० यह माननसे
मानने
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शेव्या
गर्मा
शग्या मी पाटनवाला शुन्द
कोटनवाला
. १४
१६
२१ १९
शुद्ध
१८
२१
वर्णश्च
वर्ण चांद जैसा
चन्द्रकान्तमणि जैसा सैवार
संधार गुरूपदश
गुरूपदेश अग्नि, सूरज, चांद, दीपक, अगि, सूरज, चाँद, गो, सर्प, सूर्य, पानी और योगीश्वर- दीपक, संध्या, पानी और योगीइनको देखता हुआ श्वर-इनको देसता हुआ; तथा गर्दनके सहारेसे पीठ पीछे पीठकी तरफसे गले में पेशावके समय
अथवा पेशाबके समय सामायिक करते समय सामायिक, पूजा, जप आदि
क्रियाएं करते समय फल वगैरहसे
फल और कोयलेसे शौच करे
शौच करे एवं तीन बार शौच करे
और तीन ही वार हाथ धोवे । कमरतक स्नान करके पैरोंको अवशिष्ट मिट्टीसे पैर धोकर कमरखूब अच्छी तरहसे धोवे तक स्नान करे गोलीसे
भागसे
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