________________
(२२),
विषय.
पृष्ठ. विषय. रजस्वलाके बालककी शुद्धि ३७३ माताको पुत्रोत्पत्तिका सूतक . . ३७६ रजस्वलाके भोजन किये पात्रोंमें भोजन माताको पुत्रीकी उत्पत्तिका सतक . ३७७ करने पर शुद्धि
३७३ प्रसूतिके साथ एक स्थानमें रहने आदि रजस्वलाके पात्र वस्त्र आदिसे स्पर्श हो का सूतक
३७७ जाय तो शुद्धि
३७३ सूतकके अनन्तर सूतक आजानेपर जातक सूतकके भेद ३७३ शुद्धिविधि
३७७ स्राव, पात और प्रसूतिका समय ३७३ देशान्तरका लक्षण
३७७ गर्भस्रावका सूतक
३७३ पुत्रको माता-पिताका सूतक ३७७ गर्भपातकासूतक
३७३ पति-पत्नीको परस्पर सूतक રૂ૭૮ प्रसूति सूतक
३७४ पति-पत्नीको परस्पर सूतक पालने वर्णक्रमसे सूतक
३७४ का उपदेश नाभिनालछेदनसे पहले मरण हो जानपर पिताके दश दिनोंमें माताके मरण जन्म सूतक ३७४ की शुद्धिविधि ।
- ३७८ मृत बालकके उत्पन्न होनेका या नालछेदन . माताके दशदिनों में पिताके मरणबाद मरनेका जन्म सूतक ३७४ की शुद्धिविधि
રૂ૭૮ दशदिनसे पहले मरने पर माता
इस विषयमें विशेषोपदेश . ३७९ पिताको सूतक
'३७४ दूरदेशनिवासी पुत्रको सूतक नियम दशवें दिन बाद मरे हुए का सूतक ३७४ दूर देश चले जानेपर समाचार नामकरण और व्रतबंधनसे पहले
न मिले तो कर्तव्यविधि : मरे तो क्रियाकर्म विधि
३७५ शुद्धिके दिन रोगीकी स्नानविधि नामकरणसे पहले, पीछे और अशनक्रिया ज्वर-ग्रसित रजस्वलाकी शुद्धि से पहले मरे तो शरीरसंस्कार विधि ३७५ रजस्वला-मरण
३८० निखनन ( गाढ़ने) की विधि ३७५ प्रसूति-मरण दांत उग आने पर मरे तो शरीरसं
अन्यविधि
३८० स्कारविधि . ... . ३७५ गर्मिणी-मरण
. . ३८१ दांत उग आने पर मरे तो माता ।
: पति मरनेपर दशवें दिन प्रसूति पिता आदिको सूतक .. ३७५ या रजस्वला हो जाय तो चूडाकर्म किये हुएके
दुर्मरण और उसकी सूतक विधि मरणका सूतक ।
३७६ कन्याके मरणका आशौच . उपनयन संस्कारके बाद मरणका
३८२ पक्षिणी आदिका लक्षण
३८३. सूतक
३७६ पुत्रीके लिए माता पिताका आशौच जननाशौच
३८३ , ३७६, बहन और भाईको परस्पर सूतक नालछेदनसे पहले पिताको सूतकका
३८३ . ' ननद भावी और साले बहनोई : अभाव और दानविधि
. . . . ३७६, को सूतकनिषेध और स्नान .. ३८३
३०९
३७९
३७९
३८०
३८०
३८१ ३८२