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विपय.
पृष्ठ. विषय. यतिभोजनके अन्तराय
: पृष्ठ. • ३५१ सूतकके भेद दूसरे अन्तराय
३५२ आर्तवसूतकके भेद मूलाचारोक्त अन्तराय
३५२ प्रकृत और विकृत सूतकके लक्षण । ૩૬૭ चौदा मल
३५३ अकालका लक्षण छयालीस अंतराय
३५३ आर्तवसूतकधारणप्रकार अन्तराय पालनेका उपदेश
३५३ अठारह दिन पहले रजस्वला होने मुनिके योग्य भोजन ३५४ पर शुद्धिविधि
३६८ चर्याविधि ३५४ द्वितीय मत
२६८ भिक्षा देनेकी विधि
३५४ अठारहवें, उन्नीसवें दिन तथा इनके बाद छयालीस दोष ३५५ रजस्वला हो तो शुद्धिविधि
३६८ आंशिक दोप
३५५ देवकर्म और पिन्यकर्मकी योग्यता ३६८ साधिक, पृति, मिश्र और प्राभृतिक दोष ३५६ रजस्वला स्नान कर पुनः रजस्वला हो जाय . बलि, न्यस्त और प्रादुष्कार दोप ३५७ तो अशुचिताविधि
३६८ क्रीत, प्रामित्य परिवर्तन और लिपिद्ध रजस्वलाका आचरण
३६८ दोष
रजस्वलाकी शुद्धि अभिहित, उदिन, आछाय और मालारो
भोजन पान बनानेकी और देवसेवा हण दोष
आदिकी योग्यता ३५९
३६९ धात्री, मृत्य और निमित्त दोप
दो रजस्वलाओंके परस्पर संभाषणआदिका वनीपक, और जीवनक दोप
३६९ मोघ और लोभ दोष
विजाति रजस्वला स्त्रियोंके संभाषणादिक- . का प्रायश्चित्त
३७० पूर्वस्तुति और पश्चात्स्तुति दोप ३६१
रजस्वला होते हुए जननाशौच आदि सूतक वैद्य, मान और माया दोष विया और मंत्र दोष २६२ आजानेपर भोजन विधि
___ ३७१
भोजन करते करते रजस्वला हो जाय . चूर्ण और वशीकरण दोष
या रजस्वला होनेकी शंका हो जाय तो , शंका और पिहित दोप संक्षिप्त दोप
भोजनविधि
.. ३७१ निक्षिप्त, सावित, अपरिणत, साधारण
प्रथम रजस्वला होने पर जननाशौच और दायक दोष
३६३ आदि सूतक आजानेपर शुद्धि . . ३७२ लिप्त, मिश्र और अंगार दोष ३६३ ऋतुमतीद्वारा छुई हुई वस्तुओंके विषयमें ३७२ धूम और संयोजन दोप ३६३ रजस्वलाके हाथका भोजन करे तो .
३७२ अप्रमाण दोष
. ३७२ ३६४ रजस्वलाकी संनिकटताका दोष उपसंहार तेरहवां-अध्याय । . . रजस्वलाके भोजन शयन आदि
३७२ सूतक-कथन-प्रतिज्ञा
३६६ · स्थानोंकी शुद्धिविधि
३६० ३६१ प्रायश्चित्त ३६२
રૂદ્ર
३६३ प्रायश्चित्त