Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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लिखित सं० १९४५ री जोड़ (२)
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दाळ : ५
'स्वाम भिक्खू नी मर्याद सुणजै। धुपदं॥ १ २एकल होवण तणीं चित आणी, इसड़ी सरधा धारै।
टोळा माहै जे बेठो रहै छै, ते दोई जन्म बिगा.।। २ म्हारी इच्छा आसी ज्यां लग, रहिसू टोळा मांह्यो।
म्हारी इच्छा आसी जद हूं, एकल होसूं ताह्यो। ३ इसरी सरधा धारै अबुद्धि, रहै टोळा रे मांह्यो।
ते तो निश्चै असाध कहीजै, विवेक विकळ कहिवायो। संजम सरध्यां पहिला गुणठाणां रो-धणी कहीजै तासो।
दगाबाजी ठागा सूं रहै मांहै, न करणो तिण रो विसवासो।। ५ इण विध दगाबाजी करै तिण नै, जाण राखै गण मांह्यो।
त्यां नै पिण महादोष कहीजै, प्रतख ही देखायो।। ६ कदा जो गण में दोष जाणे तो, टोळा माहै नहिं रेणो।
एकलो होय संलेखणा करणी, एह लिखत में वेणो॥ ७ वेगो आतमा रो सुधारो हुवै, ज्यूं करणो अति प्रीत ।
आ सरधा है तो मांहै, राखणो रूड़ी रीत ।। गाळागोळो कर नैं जो रहै तो, राखणों नहीं तिवारे ।।
उत्तर देणो तुरत तिणी नैं, काढ़ देणो गण वारै।। _ पछै इ आळ देइ निकळे ते, किसा काम रो तामो। इण विध स्वामी प्रगट लिखत में, आखी बात अमामो।। टोळा माहै तथा गण 'सू' दूर है, कर्म जोग मंद भागो। संत अज्जा रा अंसमात्र पिण, अवगुण बोलण रा त्यागो।। साध-साधवियां री अंसमात्र पिण, संक प. ज्यूं वाणो।
अथवा आसता उतरै ज्यू पिण, बोलण रा पचखाणो।। १२ गण सूं फाड़ सागै ले जावण रा, त्याग अछै शुद्ध मागो।
कदाचि उ आवै तो ही उण नै, साथै ले जावण रा त्यागो।। १३ टोळा माहै नै बारै निकळ्यां पिण, अवगुण बोलण रा त्यागो।
माहोमां मन फाटै ज्यूं बोलण रा, ए पिण त्याग सुमागो॥
१.लय : कुविसन केरो संग न कीजै ।
१६ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था