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उनका जीवन-मरण समान है • इन्हें प्रकट न करें • ये ठीक से ग्रहण करना चाहिए इन्हें सोने ही दो • कहीं से आये कहीं है जाना • अस्थित चित्त को सुख कहाँ जिसके कर्म उसी को फल • हमेशा वैसी मति रहे तो • प्रभु से प्रार्थना • क्यों रचा नीति संग्रह
भावणासारो ( भावनासार)
185-244
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मंगलाचरण • ध्यान का प्रभाव • कैसी भावना करना चाहिए ? • भावों का फल • धर्म की सामान्य परिभाषा • नित्य विचारणीय • अनित्य-भावना • देहादि की अनित्यता • आत्मकल्याण का अवसर • आत्मा की शाश्वतता • कौन बुद्धिमान धन की रक्षा • करता है• अशरण भावना • संसार भावना • संसार की विचित्रता • एकत्व भावना • देह में आत्मा की स्थिति • आत्मा का योग व वेदों से भी एकत्व नहीं है • मैं एक हूँ • अन्यत्व भावना • बन्धुजन बन्धन तुल्य हैं • अशुचित्व भावना • देह के धोने से चित्त निर्मल नहीं होता • आस्रव भावना • आस्रव पूर्वक बन्ध होता है • संवर भावना • संवर का उपाय • संवर का स्वामी • ध्यान-विज्ञान युक्त योगी • मुक्त के समान है • ज्ञान की महानता • संवर के साधन • संवर का अमोघ उपाय • निर्जरा भावना • निर्जरा का स्वामी • दुःखों का नाश कौन करता है? • कर्म कैसे नष्ट होते हैं • लोक भावना • कर्मवश जीव लोक में भटकते हैं • बोधिदुर्लभ भावना • संसार में रत्नत्रय ही सारभूत है • रत्नत्रय से मुक्ति होती है • अश्रद्धानी नाश को प्राप्त होता • प्रज्ञा - छैनी से आत्मा - अनात्मा की पृथकता • आत्मध्यान किसे होता है निजात्मा ही सर्वश्रेष्ठ है • जो आत्मा को जानता है, वह सब जानता है • कषाययुक्त आत्मा तत्त्व नहीं जानता • जब मोह हटता है, तब वैराग्य होता है • धर्म-भावना • धर्म दो प्रकार का है• असंयम से दुःख व संयम से सुख • किसी को तुच्छ मत समझो • काम अतृप्तिकारक है • अदाता का घर श्मशान • क्षमा-धर्म • मार्दव धर्म • आर्जव धर्म • शौच-धर्म • सत्य धर्म • संयम धर्म • तप धर्म • त्याग धर्म • आकिंचन्य धर्म • ब्रह्मचर्य धर्म • कषायों से हानि ही है • अकषायवान ही संयमी है • कषायवान का त्याग निष्फल है • ज्ञानी का निवास स्थान • ये चार अभूतपूर्व हैं संसार के चार कारण • वह योगी धन्य है • जीव जुदा, पुद्गल जुदा • ग्रंथकार की लघुता
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अज्झप्पसारो (अध्यात्मसार )
245-302
मंगलाचरण • ग्रन्थ रचना का उद्देश्य • सम्यग्दर्शन का लक्षण • सम्यग्ज्ञान का लक्षण • सम्यग्ज्ञान का कार्य • जिनागम विषय कषायों का पोषण नहीं करता
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सम्यक्चारित्र का लक्षण • श्रावक का लक्षण • श्रमण का लक्षण • सिद्ध कौन होता
है • जीव का लक्षण • मूढ़जन सुख - दुःख भोगते हैं • संकल्प-विकल्प आत्मा को