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विषयानुक्रमणिका
थुदी-संगहो (स्तुति-संग्रह)
29-126 उसहजिण-त्थुदी (ऋषभजिन स्तुति) • गोम्मटेस-अट्ठगं (गोम्मटेश अष्टक), चंदजिणेसत्थुदी, वासुपूज्जत्थुदी मलिन्दणाहत्थुदी, णेमिणाहत्थुदी • संतिणाह-त्थुदी (शांतिनाथ-स्तुति) • पासणाह-त्थुदी (पार्श्वनाथ स्तुति) • वड्ढ-माण-त्थुदी (वर्धमान-स्तुति) • परमेट्ठी-त्थुदी (परमेष्ठी स्तुति) • जिणिंद-त्थुदी (जिनेन्द्रस्तुति)• चउवीस-तित्थयर-त्थुदी (चौबीस तीर्थंकर स्तुति) • मंगल-पंचगं (मंगलपंचक) • वीर-त्थुदी (वीर-स्तुति) • वड्ढ-माण-अट्ठगं (वर्धमान-अष्टक) • महावीर-अट्ठगं • णव-देवदा-त्थुदी (नवदेवता-स्तुति) • पंच-णमोक्कारो (पंचनमस्कार) • देव-त्थुदी (देव-स्तुति) • विज्जा-त्थुदी (विद्या-स्तुति) • गुरु-त्थुदी (गुरू-स्तुति)• तिमुत्ति-त्थुदी (त्रिमूर्ति-स्तुति)• चउ-आइरिय-त्थुदी (चतु-आचार्य स्तुति) • सम्मदित्थुदी, अंकलेस्सरट्ठगं गुरू-माहप्पं भारदी त्थुदी (भारती स्तुति) • वीदरागवाणी त्थुदी (वीतरागवाणी स्तुति) • रत्तिभोयण-चाग-पसंसा (रात्रि-भोजनत्याग प्रशंसा) • मज्झ-भावना (मेरी भावना) • मंगलप्पसत्थी (मंगल-प्रशस्ति, गाहा छन्द)
णीदि-संगहो (नीति-संग्रह)
127-184 मंगलाचरण • उद्देश्य एवं प्रतिज्ञा • जिनस्तुति की महिमा • जिनपूजा की महिमा • जिन सेवा का फल • अहिंसा सभी व्रतों की जननी • अहिंसा की महिमा • सारभूत है दया • दया की महिमा • जो करसी सो भोगसी • पाप शीघ्र ही फल देता है • दया बिना मनुष्य कैसा • ऐसे वचन मत बोलो • मौन रहो या सत्य बोलो • सत्य की महिमा • असत्य की महिमा • अचौर्य की महिमा • शील की परिभाषा • शील की महिमा • निःशील से दुर्दशा • स्त्री संगति दुःखदायी • मोही व सुधी में अंतर • अब्रह्म के परिणाम • अब्रह्म से गुणों का नाश • परिग्रह वर्जन • परिग्रह दुःख का कारण • मानव जन्म के फल • पुण्य के फल • जिनधर्म के फल • धर्मात्मा के लक्षण • दुःखों से उद्धार करने वाले • जिनशासन के बिना दु:ख
तेईस