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जिनशासन से पापों का नाश • धर्म में संलग्न हो जाओ • ये धर्म को नहीं जानते • धर्म की महिमा • धर्महीन कब तक सुखी रहेगा • अशक्तों के अपराध से धर्म मलिन नहीं होता • कल्याणकारी धर्म • जिनधर्म की विशेषता • धर्म से सुख • जहाँ धर्म वहाँ जय • धर्म रसायन • सम्यग्दर्शन का लक्षण • सम्यक्त्व की महिमा • सम्यक्त्व का प्रभाव • ज्ञान का लक्षण • ज्ञान की महिमा • ज्ञान की पयोगिता • ज्ञान आचरण सहित हो • मोक्षमार्गस्थ हो • चारित्र बिना ज्ञान की निष्फलता • व्रतहीन की दुर्दशा • तप से आत्मशुद्धि • तपस्वी को सब सुलभ • तप की दुर्लभता • दुर्ध्यानों की सहज उपलब्धि • आत्मसिद्धि के लिए ध्यान जरूरी • अदाता की दशा • कषायी स्वहित नहीं जानते • पंडित कौन है ? • पंडित क्या नहीं करते • विवेक की महिमा • पंडित और मूर्ख में अंतर • वृद्ध कौन • उसका जन्म निष्फल है • दानी कौन है ? • इन्हें दूसरे भोगते हैं • मांगना मरण समान है • ये मरे के समान हैं • ये अनर्थकारी ये सदा रिक्त रहते हैं • दुर्गतिनाशक पाँच सकार • दुर्गति के निवारक पाँच दकार • त्याज्य हैं सात मकार • दुःख के कारण • एक पुत्र भी अच्छा • मित्र का लक्षण • दूरस्थ भी दूर नहीं • यदि अच्छे सम्बन्ध चाहते हो तो • काल को रोकने वाला कोई नहीं • अन्त में कोई काम नहीं आता • धर्म निष्फल नहीं होता • कुछ भी शाश्वत नहीं • देव भी उसके दास हो जाते हैं • उद्यम से कार्य होते हैं • उसे कुछ भी कठिन नहीं • ये बढ़ाने से बढ़ते हैं • इनकी दुर्दशा होती है • सम्पत्ति के हेतुभूत गुण
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गुणों से आती है गुरुता • धैर्य है सुखकारी • आत्म प्रशंसा अहितकर • धन क्षय होने पर • ऐसी वाणी बोलिए • बन्ध मोक्ष का कारण मन • इन्हें उत्तर मत दो • मौन के स्थान • ये परोपकारी हैं • चिंता से हानि • यह सोचिए मत • ये देखते नहीं • वहाँ निवास नहीं करें • शिष्य का लक्षण • विद्यार्थी इन्हें छोड़ें • ये स्वर्गगामी होते हैं • गर्व नहीं करना चाहिए • अद्भुत औषधियाँ • बुद्धि कर्मानुसारिणी • वैभव सम्पन्नता के चिह्न • इन्हें नाराज मत करो • ये अति दुर्लभ हैं • किसको कैसे जीतें • अनभ्यासे विषं विद्या • किसका रस क्या है • किसके बिना क्या नष्ट होता • इनके प्रारम्भ में सुखभाषित होता है • ये मृत्यु के कारण हैं • इनका विश्वास नहीं करना चाहिए
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उसे यहीं स्वर्ग है ● किसका मूल क्या है • इनसे मैत्री मत करो • कहाँ से क्या ग्रहण कर लेना चाहिए • किससे क्या जाना जाता है • किसको कहाँ जोड़ें • किसको क्या
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अन्न, वैसा मन
नहीं अखरता • वही जीवित रहता है उसका जन्म ही व्यर्थ है • किसके बिना क्या नष्ट हो जाता है • किससे क्या रक्षित हो जाता है • किससे क्या नष्ट होता है • ऐसी बातें प्रकाशित नहीं करना चाहिए • इनके समान ये ही हैं • तृण के समान है • इनमें लज्जा मत करो • संतोष - असंतोष • तब तक चाण्डाल है • जैसा • मांस के समान हैं • गुणाधिकता • इनसे शीघ्र ही यह होता है • जीभ का प्रमाण करो • पानी की विशेषताएँ • मर्दनं गुण वर्द्धनम् • वह पंडित है • बूँद-बूँद से घट भरे • ये सहज ही संतुष्ट हो जाते हैं • कर्मानुसार फल होता है • स्वयं ही, फैल जाते हैं
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चौबीस