________________ भाषाटीकासहित.. ताजीने मुझको सारस्वत पढाना प्रारंभ किया. एकदिन मेरी माताने पिताजीसे मेरे विवाहकी बात चलाई और कहा कि हमने सुनरक्खाहै कि 8 वर्षकी कन्या पार्वतीके समान,नौ वर्षकी कन्या रोहिणी, और दशवर्षकी कन्या साक्षात देवीके समान होती है। उपरान्त रजस्वला होने पर कन्यादान करनेका कुछ फल प्राप्त नहीं होता.. आप पंडित हो, मैं आपको शिक्षा नहीं देती, किन्तु अपनेको आपकी दासी समझकर विनय पूर्वक कहतीहूं, कि. आप इस कन्याका विवाह इसीवर्ष करदीजिये / क्योंकि अब कन्या नव वर्षकी हो चुकी यह दशवां वर्ष है. माताजीके वचन सुनकर पिताजी बोले कि, छोटी अवस्थामें विवाह करना शास्त्रोक्त नहीं शास्त्रमें तो षोड. शवर्षकी कन्या और पचीस वर्षके पुत्रका विवाह उत्तम कहा है. पुत्रका विवाह उस समय करना चाहिये जब वह स्रांकी इच्छा करै. और कन्याका विवाह उस समय कर जब उसको पतिकी चाह हो. सो आजकलभी सोलह वर्षसे कमके बालकको स्त्रकिी और बारह वर्षसे कमकी . .P.P.AC.Gunratnasuri M.S. .. Jun Gun Aaradhak Trust * ,