________________ स्त्रीचरित्र. जारीलाल अपनेको अपराधी नहीं ठहरता था मोहनीका अपराध ठहराकर अपने बचावकी वात कररहा था. और उधर मोहनीका समाचार यह था, कि वह अपने मनमें यह सोचने लगी कि अब जो कुछ होनहारथा सो होगया अब मान अपमानका कुछ भय न करना चाहिये. जिससे मैं और गुलजारीलालका वचाव हो सो उपाय करूं. जिससे कुछ उपद्रवभी न हो और साफ बचजाउँ. मेरा पतिभी बहुत सीधा है, उसका हृदय बहुतही कोमल है निश्चय है कि मेरी विनतीको वह मान जायगा, उसको मना लेनेसे हमारा सब काम बन जायगा. और गुलजारीलाल मुझको कभी न छोडेगा, जीवन्त पर्यन्त मेरा पालन पोषण करेगा, और प्रेम रक्खैगा; परन्तु इससमयकी विपत्ति टलजाना चाहिये, स्त्रियोंमें बात बनाने और माया विस्तार करनेकी चतुराई पुरुषोंसे अधिक होती हैं. विशेषकर मोहनी धोखेबाजीमें पण्डिता थी, इसकारण मोहनीको सोच विचार करते हुये बहुत देर नहीं लगी कुछही देरमें उसके मनका भाव पलट गया. जब उसने P.P:AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust