________________ 126 स्त्रीचरित्र धन्य है जो जगदीश्वरदत्त वस्तुकी रक्षा करके उसकी आज्ञापालनही श्रेयस्कर समझता हैं, तभी निजकार्यों में रत मनुष्य कभी न कभी अवश्य प्राप्तमनोरथ होताही है. राजा विद्याभूषणका प्रधानमंत्री बुद्धिसागर नाम था, उसकी सुन्दरी नामक कन्या परमसुन्दरी थी. प्रधानमंत्री बुद्धिसागरकी एक वाटिका थी, जिसमें भांतिभांतिके वृक्ष लहलहा रहे थे, अनेक प्रकार के सुगन्धित फूल खिल रहे थे, जिनकी सुगन्धिसे वह वाटिका चन्दनवनके समान सुगन्धित हो रही थी; जनसमूह उस वाटिकाके समीप होकर निकलता था, वह सुगंधित वायुके झोकेसे प्रसन्न होकर मार्गकी थकावटको दूर करनेके लिये वहां बैठ जाताथा, नानाप्रकारके पक्षियोंकी मधुर ध्वनिसे समीपीजनोंके कर्ण पवित्र हो जाते थे, ऐसी मनोहर वाटिकामें प्रधानमंत्रीकी कन्या सुंदरी कभी 2 अपनी सखीसहेलियोंके साथ चित्तको प्रसन्न करनेकेलिये जायाकरतीथी. एक दिन सुन्दरी वसन्तऋतुका आगम जान अपना सब शृंगारकर उस वाटिकामें अपने चन्द्र P.P:ACGunratnasuri Jun Gun Aaradhak Trust