Book Title: Stree Charitra Part 01
Author(s): Narayandas Mishr
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 163
________________ स्त्रीचरित्र. 'वेषधारी राजाने सब वृत्तान्त कह सुनाया. तब सुखदर्शनने कहा, महाशय ? यदि परमेश्वर सत्य है तो उसको मध्यस्थ मानकर मैं शपथपूर्वक कहता हूं कि जिस समय आप मेरे इस मित्रको जहां चाहेंगे, मैं वहीं अपने साथ लेकर आजाऊंगा. इस प्रकार कातर वचन सुनकर राजाने अं. गीकार किया, और मदनको वहीं छोडकर अपना मार्ग लिया. तब ये दोनों मित्र अन्तरगृहमें पधारे. मदनमोहनने अपने मित्रसे कहां. मित्र ? जिसके लिये संसारका सब सुख तृणवत् परित्यागकरदिया है, आज उसासे मिलनके लिये मैं ज्योंही कबन्ध डालकर ऊपर चढ़ना चाहताथा, त्योंही यह जीवित यमदूत आगया, परंतु कुछ सन्देह नहीं करना चाहिये, प्रेममार्ग संसारसे निरा. लाहै.इसके आनन्दका अनुभव बिना प्राणपन किये कौन कर सकता है ? आहा ! वह प्रेममाधुरी मूर्ति नयनोंके आगे नृत्य कर रही है. भला ! यह कभी भुलायेसे भूलसकतीहै? जिसके क्षणिक वियोगमें असंख्य यमयातना अनुभव होती हैं जिसके मिलापमें साम्राज्य और महेन्द्र पदवभिी PPPAC: Sunratnasuri.M.S.... Jun Gun Aaradhak Trust

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