Book Title: Stree Charitra Part 01
Author(s): Narayandas Mishr
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 187
________________ - 184 स्त्रीचरित्र / दूरका टीका लगाये, कोई डंडा, कोई लह, कोई डफ,कोई खंजी कोई मोरका पंख, कोई झांझ, हाथमे लिये आये. उनमेंसे एक निकलकर सामने आया और बोला, महाराज ! झूठी बात कहिवो लच्चन गुंडनको कामु है हमलोग भले मानस सांची सांची बात कहतुहै, है कि नाहीं साहब, हमैं सदा कचहरी दरबारसे कामु रहतिहै, फौजदारीके मुकदमा हमपर बनेई रहत है. है कि नाही साहब, गंगादुहाई अधरमलगती बात हम कहत नाही है या होरी पर लट्ट चलिगये, मुंड फूटनि हुइगई. हवालात जेलखान सब कुछ हुइगओ. पै गमदुहाई हमने होरी नाही छोडी, काहे साहब इह कि नाही. हमसे बडो ऐसो कौनु रसिया है जो होरी अपनी बतावै. हम सब छतीसाँ जातिके लोग हिलि मिलि गाउं गांउं. गली गली मारे मारे डौलत हैं. आगे आगै हिजरा ताके पाछे पतुरिया, ताके पाछे लौंडा. सबसे पीछे हम सब मृदंग, झांझ, मँजीरा, ढोल, डफ, करताले बजाय 2 रसीली धमारे गावत हैं. बीच बीच दारू, चर्स, भांग, Aaraunst P.P.AC.GunratnasuriM.S

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