Book Title: Stree Charitra Part 01
Author(s): Narayandas Mishr
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 201
________________ 198 स्त्रीचरित्र. मनुस्मृतिके चौथे अध्यायमें दो स्थानोंपर ऐसा लिखाहै कि, पुराना अन्न समाप्तहो और नया अन जब उत्पन्न हो तब मनुष्य अन्नयज्ञ करैः जबतक नवीन अबसे आग्रयण इष्टि ( यज्ञ) न करलेवै तबतक नवान्न भोग्न न करै. होलीके समय नवीन अन्न उपजता है, इसकारण नये अन्नसे यज्ञ करके संसारका उपकार करें या होलीका त्यौहार है. जो ठीक ठीक नियम यज्ञ करनका प सो जातारहा. केवल आग जलाकर नवीन अन्न डालनेको - रस्म अवतक मोजूद है. होलिकाष्टक शब्द जो प्रायः तिथिपत्रोंमें लिखा रहता है. उसका यही प्रयोजन है। कि, होलीके आठ दिन पहलेसे यह करने के निमित्त सामग्री एकत्र करे. और होलिका अर्थात् फाल्गुनशुदी पूर्णिमाके दिन यज्ञ करै. होली अधपके अन्नके गुच्छे जोको कहते हैं वृक्षसे पृथक् न हुआ हो 'अर्द्ध पक्कान्नम होलिका'। अधपके अन्नको होलिका कहते हैं. यज्ञ समाप्त __करके दूसरे दिन प्रसन्नता पूर्वक खाना, खिलाना. Gunturi M Maraliak Tust

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