________________ N भाषाटीकासाहित. 177 स्वभावमें किसी प्रकारको न्यूनता नहीं थी, सारी प्रजा महाराजको अपने तनमनसे अपना प्रभु साहाती थी, अनेक मनुष्यों के मुखसे हमने महाराज रतन. सिंहकी प्रशंसा सुनी है. वास्तवमें जिस पुरुषकी प्रशंसा सैंकडों मनुष्योंके मुखसे सुनने में आवे, और उस प्रशंसामें किसी बातका दोष न पाया जा, तो वह मनुष्य योग्य प्रशंसाके समझा जा सकता है. एक समय महाराजने होलीकी गुहार और फागकी अ: हुत बहार देख सुनकर अपने मनमें विचार किया कि, आज कल प्रायः मनुष्य आपेसे बाहर होकर यही पुकारते हैं कि-होली है, होलीहै, होली है, होली हमारी. इसका निणय करना चाहिये कि होली किसकी है. अधिक ... सात जातिके पुर्विया, 2 कायस्थ, 3 अइंहार. वटा जाति, 5 रामजनी. निकाल(भांड) 7 हीजडा. प लाग बहुत गुलगपाडा मचाते हैं. योग्य है कि, इन पृथक् पृथक् बुलराकर पूछना चाहिये, देखें ये क्या कहते हैं, पीछेसे देखा जायगा. यह पियार कर . P.AC. Gunratasuri IS Jun Gun Aaradhak Trust