________________ भाषाटीकासहित. 181 दिनभर खेतों में फिरते. शामको अद्धाभर शव पीकर / खाना खाते और नशेकी हालतमें सोरहते हैं. दिनभर ' हम हिलाते हैं दादी, रातभर हम करते हैं बादशाही. ___ हमारे सामने अफलातूनभी एक पशम है. हमारी रोज होली, रोज दिवाली. जबसे फाल्गुन शुरू होता है. एक बोतलसे कम हम नहीं पीते हैं. और बढते के ते सब गर्जी हैं. हमारी उमर करीब पचासी वर्षकी हुई. बडी बडी कचहरियां हमने देखडालीहैं, तुम सरीखे लडके - हमारी गोदके खिलाये हैं. कसम शराबकी, कि दिवाली बानयोंकी, दशहरा राजपूतोंका,सलोनौ ब्रह्मनोकी, वसंत रेडियोका और होली खास हम(कायथ) लोगोंकी है, बाज: ना नावा किया लोग ऐसे शैतान पैदाहुये हैं, जो -बापदादोंको बेवकूफ बतलाते हैं जो हमारा परमधर्म है उसका हलफनाम लिखते फिरते हैं, गोश्त, कवाब और छलियोंका खाना बेरहमीमें शुमार करते हैं. स्काई। / जो हमको रोक रहेहैं शराब पीनेसे / F.P.AC.Gunratnasuri Jun Gun 'Aaradhak Trust