________________ 17. स्त्रीचरित्र आजतक नहीं देखी, यह क्या अपूर्व कौतुक हैं सो कहिये. तब महाराजने मुसक्याकर कहा, कि यह भेद पीछे जानना, पहले यह देख आओ कि मदन मोहनके समीप श्याम वसनधारी अश्वारूढ कौन वीर खडा है ? पश्चात् इसका निर्णय हो जायगा. - यह वचन महाराजका सुनकर नीतितत्त्वज्ञ मंत्री बुद्धिसागरजी तुरन्त उस अश्वारूढ बीरके सन्मुख जाय उसको पहचानकर लौट आये और धीरसे बोले, महाराज! बड़ा अनर्थ हुआ.सब बनी बनाई प्रतिष्ठा धूलमें मिलगई. अरे ! यह कुलकलंकिनी कन्या दासहीकी है. हां! - आज इसने हमारेलाजका जहाज डुबादिया, यह सुन महाराजने हँसकर कहा, कि कुछ सन्देह मतकरों यह जो शूलीके सन्मुख युवक खडा है, सो अद्वितीय पंडित, राजमान्य शास्त्री विश्वेश्वरानन्दजीका प्रियपुत्र है, इसका नाममदनमोहन शास्त्री है, तुम्हारा स्वजाति है, अबइसको हम अपने साक्षात पुत्रके समान मानते