________________ 1162 / स्त्रीचरित्र. अँधेरी थी, हाथ पसारा नहीं सूझताथा, मदनमोहनने उसी समय जाकर कबन्ध डाला, और झट ऊपरको चढगया, और खिडकी बंद कर प्यारीके समीप गया, वहां उसको सोता हुआ पाया. उस समय मनमें अनेक तर्कवितर्क किये कि जिससे मदनमोहनके नेत्रोंसे अश्रुधारा बहने लगी, और प्यारीके मुखारविन्दपर अश्रुवर्षण होनेसे निद्राभंग होगई. देखा तो प्राणेश्वरके नेत्रोंसे जलवर्षण हो गया है. यह अकस्मत् आश्चर्य देखकर , ललना निन्तात . बडागई, और बड़ी आतुरतासे उठकर अपने पीत. मके गलेसे लिपटकर नयन जलकण बरसाने लगी. कुछ समयके उपरान्त धैर्य धारण कर पूछने लगी कि प्यारे ! तुह्मारी यह क्या दशा है ? क्या मुझ. दासीसे कोई अपराध बनपड़ा, तुह्मारा हृदय ऐसे वेगसे / क्यों धडक रहाहै, क्यों इतने रुष्ट होगये, इसप्रकार पूछने. पर मदनमोहनने यह विचार किया, कि इससमय सब . बात सत्यही कह देना चाहिये. यह सोच मदनमोहनने सम्पूर्ण वृत्तान्त कह सुनाया. सुनतेही प्यारीके कष्टकी PP AC. Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust .