________________ भाषाटीकासहित. इश्ककिया मजनूं मिया, वा लैलीके साथ // राजपाट सब तजदिया, नहीं लगा कुछ हाथ // 30 // फंसा हीरके इश्कम, रांझासा - महबूब / तख्त हजारा तजदिया, खाक उडाई खूब // 31 ॥फंसा इश्कके फन्दमें, जो कोइ चतुर सुजान // आखिर हो वदनाम - फिर, खोई अपनी जान // 32 // सो हे मित्र ! पुरुषको इतना असमर्थ नहीं होना चाहिये. क्योंकि जबतक किसी कामको भली भांति - सोच समझ न लेवै तबतक उस कामके फंसना ठीक नहीं देखो नीतिका बचन है। दो०-विना विचारे जो करे सो पीछे पछताया काम बिगारे आपनो, जगमें होत हँसाय३३ राजा भर्तृहरिजीका बचन है, किदाहा-रसम त्योंही रोषमें दर्शत सहज आ प // बोलत वचन चितौनिमें, वनिता बन्धनरूप 34 // Jun Gun Aaradhak. Trust