________________ भाषाटीकासहित. यह कहकर मालिन चली आई. वाटिकामें आतेही - मुन्दरीकी पाती मालिनने मदनमोहनके हाथमें देदी. उस पातीको पढ़कर मदनमोहनका मन हराभरा हो गया और मालिनसे कहा, कि किसी युक्तिसे मुझे मेरी प्यारीसे मिलादे. मालिनने कहा, कि कल तुम - मेरे साथ जनाना भेष बनाया अपनी प्यारीके पास चलो. और कोई उपाय प्यारीसे मिलनेका नहीं है. यह सुनकर मदनमोहन चुप होरहा. दूसरे दिन अपने.. मित्रकी सम्मतिसे जनाना भेष बनाया मालिनने संग अपनी प्यारीके समीप पहुँचा. जब दोनोंकी चार आंखें हुईं, उस समयके प्रेमकी शोभा वर्णन नहीं की जाती.. अनेक प्रकारकी प्रेमसनी बातें करते करते दोनोंका मन प्रसन्न होगया, विरहका सन्ताप दूर होकर हृदय शीतल. होगया. निदान चलते समय सुन्दरीने कहा हे प्यारे ! - इसीभवनमें रहतीहं, और यह खिडकी जो गलीकी भार है, यहीं पर हमारा पलंग रहता है, समीपही दीपक सम्पूर्ण रात्रि प्रज्वलित रहताहै, जिस रात्रिको आपको मानाहा, तब इसी खिड़कीमें कबन्ध डालकर आप P.P.AC.Gunrathasuri Jun Gun Aaradhak Trust