________________ आसकते हो,ऐसे कहकर उस समय अपने प्यारेको विदा किया और कहा बरवा। प्रेम प्रीति का बिरवा चलेहु लगाय // सींचन की सुधि राखेहु मुरझि न जाया६॥ _ मदनमोहन अपनी प्यारीके पाससे चलकर मालिनके संग वाटिकामें आय अपने मित्रकेपास आया और सब हाल कह सुनाया. मित्रने कहा, अब तुह्मारा काम हो गया इस समय घर चलो, फिर देखा जायगा. यह कह सुनकर दोनों मित्र वाटिकासे चलकर अपने स्थानको आये. एक दिन आधी रातके समय मदनमोहन अपने मित्रको बिना पूछे प्यारीसे मिलनके लिये उसके निवास मन्दिरपर पहुँचे. अपनी प्यारीके कथनानुसार कबन्ध डालकर खिडकीमें चढकर जानेकी ज्योंही इच्छा कर रहाथा, त्योंही राजा विद्याभूषण जो कोतवालके - भेषमें नगरकी चिन्ताको निकला था. मदनमोनको कवन्ध डालते देखकर राजाने डपटकर कहा. PP: Ac. Guriratnasuri M.S: Jun Gun Aaradhak Trust'