________________ भाषाटीकासहित. 153 दोहा-अरे चोर तू कौन है,लगारहा है घात / चोरी करने महलमें,आया आधीरात॥६॥ __सुनतेही मदनमोहनका कलेजा कांप उठा. वहीं खडा रहगया. राजाने उसकी दशा देख और उस खिड़कीकी ओर दृष्टिकर दीपकके प्रज्वलित प्रभावसे सब हाल म. नमें जान लिया, और सोचने लगा कि यह मनुष्य चोर नहीं है. परंतु इस समय इसको योंही छोडदेना उचित नहीं है, विचार कर राजा उस मनुष्यके समीप जाकर बोला रे दुष्ट ! क्या तुझको इस संसारमें दूसरी कोई आजीविका नहीं है, जो तू ऐसा घृणित कर्म करताहै, अरे राजाकाभी कुछ भय नहीं है, हा ! तू यह नहीं जानता कि ऐसे कर्म करनेमें प्राण जाते हैं, रे निर्दयी! तुझको अपना प्राणभी प्यारा नहीं है, देख ! अब तेरी उ समीप आगई अब क्या तू मुझसे बच सकता है? यह कहकर राजाने उसको पकड लिया और कहने लगा कि, तू कौन है जो ऐसा काम करता है. तूने PORAccinatnas Jun Gun Aaradhak Trust