Book Title: Stree Charitra Part 01
Author(s): Narayandas Mishr
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 148
________________ भाषाटीकासहित. . 145 . ऐसी बातें मदनमोहनकी सुनकर सुखदर्शन मनमें विचार करने लगा, कि यह हमारा मित्र नारीनयूनरूपी तीरसे घायल होचुका है, समझाना बुझाना वृथा है, अब ऐसा उपाय सोचना चाहिये जिससे इसकी प्यारी इसको मिलै, क्योंकि उपाय करनेसे सब कुछ मिल जाता है. यह सोच समझ सुखदर्शनने कहा, हे मित्र मदनमोहन ! हमने समझ लिया, कि तुझारा चित्त ठिकाने नहीं है, इससे हम तुमको यह सम्मति देते हैं, कि इससमय हमारेसाथ घरको चलो, वहां चलकर तु: - मारी प्यारीके मिलनेका उपाय सोचेंगे. मदनमोहनने कहा, मित्र ! मैं यहांसे हटकर कहीं न जाऊंगा, यहीं पड़पड़े प्यारीके विरहमें प्राणत्याग करदूंगा. मुखदर्शनने कहा, कि उठकर घर चलो. वहां पाथकोंकासा भेष बनाया घोडोंपर चढकर इस वाटिकामें आवेंगे और इस बागके मालीको लोभ देकर काम बनावेंगे, तुम किसी बातकी चिन्ता मत करो. इतनी बात सुनकर मदनमोन अपने मित्रकेसाथ घरको गया, वहां जाय दाना मित्र पथिकोंकासा भेष बनाय.घोडेपर सवार होकर वा P.P.AC.Gunratnasuri M jun Gun Aaradhak Trust

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