________________ स्त्रीचरित्र. मित्र है इसने भी जबसे उस सुन्दरीको देखाहै, तबसे अपने आपमें नहीं है. इसीसे हम दोनों इस वाटिकामें पथिकोंकी भांति आ टिकेहैं, अब कुछ ऐसा उपाय करो. जिससे दोनोंका प्राण बचे. यह सुन मालिनने कहा कि, जो काम मेरे करनेका है, वह करनेको मैं मौजूदहूं. तब मुखदर्शनने मदनमोहनसे कहा, मित्र! अब सब काम बन जायगा, तुम अपनी प्यारीके लिये एक पत्र अपने हाथसे लिखो, यह बात सुनकर मदनमोहन अपनी प्यारीको पत्र लिखने लगा. दो०-प्यारी तेरे नेहकी,नदी विमल गम्भीरा मन अरु नयन पियासही, मरत न पावत नीर // 54 // प्यारी बिन तोसों मिले, गयो धीरहू भागि / कैसे दिल वा रूपमें, छिपे इ. श्ककी आगि // 15 // चौक। कहदो सोच विचार पियारी अब तुमको क्या करना। दिन देखे दीदार तुझारे होय ह. KP.P.AC. Gunratnasuri.M.S.: ...Jun Gun Aaradhak Trust