________________ स्त्रीचरित्र. टिकामें पहुँचे, इन दोनोंको देखतेही माली कहने लगा, कि यह प्रधानमंत्रीजीकी वाटिका है, तुम लोग कहां रहतेहो, जो बिनापूछे बताये इस वाटिका बेखटक चले आ रहेहो. मालीकी बात सुनकर सुखदर्शनने एक सु. वर्णमुद्रा देकर मालीसे कहा, कि इस वाटिकामें हम जि. तनेदिन म्हेगे, उतनीही सुवर्णमुा तुमको देंगे. तुम ह. मको यहां ठरनेको स्थान दो, यह सुनतेही मालीने अ. पने मनमें कहा, कि एतो कोई बड़े धनवान् पुरुष देख पडतेहैं, इनसे मुझको बहुत कुछ लाभ होगा. यह सोचकर मालीने बडे आदर सन्मानसे उस वाटिकाके एका• न्तमें ठहराया, वहां बैठकर ये दोनों मित्र विचार करने लगे, कि क्या उपाय करना चाहिये जिससे काज सुधरै. इतनेमें उस वाटिकाकी मालिन आती हुई देखपडी, मा. लिनने दूरहीसे पुकारकर कहा, कि इस वाटिका में तुमारा क्या काम है, जो निडर होकर यहां बैठे हो. मालिनके समीप पहुँचनेपर मुखदर्शनने कहा, कि हमलोगोंका इस बागके मालीने यहां टिकायाहै. यह कहकर पांच मुहर मालीनके हाथ धरी, सुहरै पातेही मालिनका मन EP.P.AC.Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak Trust