________________ __भाषाटीकासहित. परमानन्द होगया. मालिनको प्रसन्न देख मुखदर्शनने पछा कि यह किसकी वाटिका है. और कौन यहांका राजा है. यह सुन पालिनने उत्तर दिया, कि यहांका राजा विद्याभूषण नाम बडा न्यायी और धर्मात्मा राजाहै, और उसके प्रधान मंत्रीका नाम बुद्धिसागर है, उसीकी यह वाटिका है. बुद्धिसागरकी कन्या सुन्दरीनाम इस वाटिकामें तीसरे चौथे दिन मन बहलाने आया करती है. यह बात मालिनकी सुनकर सुखदर्शनने पूँछा कि, वह सुन्दरी कबसे यहां नहीं आई ? मालिनने कहा, कि वह कल यहां आईथी. यहां उसने एक पुषको जबसे देखाहै, तबसे अपना तन मन भुलाये . उसकी मुरत करके कभी अचेत हो जाती है, कभी जो जीमें आता है, बकने लगती है. उसकी सहे. लिया सब कुछ समझाती हैं, परन्तु उस सुन्दरीका मन सन नहीं होता, न उसके मनसे वह पुरुष भूलता है. अभा उसकी यह दशा देख चली आरही हूँ. मालिन बात सुनकर सुखदर्शनने कहा, हे मालिन ! उस उन्दराके मनको लुभानेवाला यह मदनमोहन हमारा ..AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust