________________ 128 . स्त्रीचरित्र. नके कलशहू मानौं हियेपै समार धरे देखके. नवीन वयसि हीय उमंगायो है // केराके खंभसम जंघा सुढारबने केहरिकटि देखी देखी मन ललचायो है। भौंहैं कमान तान नयन शर चढाय लियोहंसनिकी चोटते कुमारको गिराया है // 1 // दो०-नवयौवनगजगामिनी,अतिस्वरूपकी रेख।बिज्जुछटासी वामकू,रहे विग्रजी देखर / इधर तो ब्राह्मण कुमार उस सुन्दरीको देखकर मो-- हित होगया उधर सुन्दरीने ब्राह्मणकुमारको टकटकी लगाये देखकर उसको प्रीतिसे देखा, तो उसके रूपकी अलबेली छटा और रसीले नयनोंकी चितवनको देखकर तनमनसे मोहित होगई, और ब्राह्मणकुमारको देखतीही रही. सुन्दरीका यह चरित्र देख संगकी सहे लियोंने जान लिया कि यह सुन्दरी इस ब्राह्मणकुमा PRAc. GunratnasuriM.S. . Jun Gun Aaradhak, Trust