________________ स्त्रीचरित्र. दो-कठिनप्रीतिकीरीतिहै, जोकहुंयहलगजायाखानपानआराम सब,ताहिनकछ सुहाय सुन्दरीको विकल होते हुये देखकर सब सहेलियोंने सुन्दरीको ज्यो त्यों करके घर पहुंचाया, तब सुन्दरीने अपनी सुध बुध बिसार यह दोहा पढ़ाःदो-विरहासमनहिंजगत में,औरदर्दकुछआय। क्षणभर कलदेव नहीं नहीं प्राण निकसाय 7 ..गह सुनकर सखियोंने सुन्दरीको बहुत समझाया बुझाया, कि आप ऐसी बुद्धिमती सुन्दरी होकर बिना जाने पहचाने एक विदेशी पुरुषपर मोहित होके अपनेकोली जातीहो. तब सुन्दरी बोलीदोहा-जेहि तनलागी हे सखी,सोई जानत पीर। दूजेको दरशै नहीं जिगर घाव गम्भी हे सखियो ! जबसे मैंने उस कुमारको देखा है तबसे उसके रूपकी छटा, और उसकी प्रीतिकी घटा मेरे हृद. R.P.Ac: Gunratnasuri M.S.. in Aaradhak' Trust