________________ 82 स्त्राचरित्र. सुनकर सुनार चमेलीकी बुद्धिकी प्रशंसा करने लगा, अपने स्वामीको प्रसन्न जानकर चमेली बोली कि, स्वामी जो तुमने छै महीने पहले बोल बोलाथा, कि चतुर परूघाँकी स्त्रियाँ क्या मजाल है जो दूसरोंसे आंख मिलासके उसी बातपर हमने यह चरित्र तुमको दिखलाया, वह मर्द जो तुह्मारी गर्दन पकडकर तुमको धमकाने लगाथा वही उस मटकेमें बन्द था, तुह्मारेही शिरपर मेरे पास आया और तुम्हारेही शिरपर बैठकर चलागया, परन्तु मुझको हाथ नहीं लगा सका. यह सुनकर सुनार भौचक रहगया और बोला कि, वह पुरुष तो थोडी उमरका बहुत सुन्दर था, उससे तुम बची होगी. चमेलीने कहा जैसे तुम पापी हो वैसेही दूसरों को समझते हो, एक वह क्या, यदि उसके साथी सो पचास छैल मेरेपास आ तोभी तो मुझको हाथ नहीं लगा सकते. रातभर मैंने उसको मीठीबातों में बहलाया, सबेरा होतेही वह चलागया, यदि वह छैल हमारे पसन्द होता, तो हम उस बुढियाको पीतलके कडे क्यों देती.देखने तो तुम बडे चतुर हो, परन्तु तुममें बुद्धि नाममात्रभी -- P.P.AC.Guriratnasuri Jan Gun Aaradhak Trust