________________ .. भाषाटीकासहित 112 117 नहीं है. इसीप्रकार पांचदिन बीतगये. छठे दिन तम्बा, लिनी ज्योंही शृंगारकर चलनेको हुई त्योंही विदेशसे तम्घोली आगया, उसको देखतेही तम्बोलिनिका मन उदास होगया. तम्बोलीने उसको देखकर कहा, प्यारी ! - तुम क्यों उदास बैठीहो ? देखो हम तुम्हरे लिये विदेशसे कैसी कैसी अच्छी वस्तुयें लाई हैं, लो यह हाथोंमें प. हिरनेके कडे हैं, ये कानों में पहिरनेकी. बालियां हैं, ये नथमें डालने के लिये सच्चे मोती हैं, ये कंठो पहिरनेका चन्द्रहार है, ऐसेही तम्बोली बडे प्रेमकी बात करताथा, : परंतु चम्पकलीका मन दूसरी ओर लगाथा. दिनभर तो तम्बोलिनिका जाना साहूकारजादेके पास नहीं हुवा. जब रातको तम्बोली सोगया, तब तम्बोलिनि अवसर पाय साहूकारजादेके पास गई, साहूकारजादा दिनभरका झुंझलाया हुआ बैठाया. तम्ओलिनिको देखतेही बोला, हरामजादी तू आज दिनभर कहां रही जो इससमय आकर मुंह दिखाया. तब तम्बोलिनि बोली प्यार! आज मेरा पति परदेशले आया, उसकी टहलो P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust